कैल्सियम
कैल्सियम
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 144 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | रमेशचंद्र कपूर |
कैलसियम रसायन की आर्वतसारिणी के द्वितीय मुख्य समूह का धातु तत्व। यह क्षारिय मृदा धातु है और शुद्ध अवस्था मे यह अनुपलब्ध है। किंतु इसके अनेक यौगिक प्रचुर मात्रा में भूमि में मिलते है। भूमि में उपस्थित तत्वों में मात्रा के अनुसार इसका पाँचवाँ स्थान है।
यह अत्यंत सक्रिय तत्व है। इस कारण इसको शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना कठिन कार्य है। प्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिक रॉबर्ट बुन्सन ने क्लोराइड के विद्युद्विच्छेदन द्वारा इस तत्व को असंयुक्त अवस्था में तैयार किया था। आजकल कैलसियम क्लोराइड तथा फ्लोरस्पार के मिश्रण को ग्रेफाइट मूषा में रखकर विद्युद्विच्छेदन द्वारा इस तत्व को तैयार करते है।
शुद्ध अवस्था में यह सफेद चमकदार रहता है। परंतु सक्रिय होने के कारण वायु के आक्सीजन एवं नाइट्रोजन से अभिक्रिया करता है। इसके मणिभ फलक केंद्रित घनाकार रूप में होते हैं। यह धातवर्ध्य तथा तन्य तत्व है। इसके कुछ गुणधर्म निम्नांकित है। संकेत कै (Ca) परमाणु अंक 20 परमाणु भार 40.08 परमाणु अर्धव्यास 10-8 सेंटीमीटर गलनांक 810° सेंटीग्रेड क्वथनांक 1,2000° सेंटीग्रेड घनत्व (20 सेंटीग्रेड पर) 1.55 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर
विद्युत्प्रतिरोधकता 4.6 x10-6 ओह्म सेंटीमीटर
साधारण ताप पर यह वायु के ऑक्सिजन और नाइट्रोजन से धीरे धीरे अभिक्रिया करता है, परंतु उच्च ताप पर तीव्र अभिक्रिया द्वारा चमक के साथ जलता है और कैलसियम आक्साइड (कैऔ, CaO) बनाता है। जल के साथ अभिक्रिया कर यह हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है और लगभग समस्त अधातुओं के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनाता है।
इसके रासायनिक गुण अन्य क्षारीय मृदा तत्वों (स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडियम) की भाँति है। यह अभिक्रिया द्वारा द्विसंयोजकीय यौगिक बनाता है। ऑक्सिजन के साथ संयुक्त होने पर कैलसियम ऑक्साइड का निर्माण होता है। जिसे कली चूना (quiklime) भी कहते हैं। पानी में घुलने पर कैलसियम हाइड्रॉक्साइट या शमित चूना या बुझा चूना (slaked lime) बनता है। यह क्षारीय पदार्थ है जिसका उपयोग गृह निर्माण कार्य में पुरतान काल से होता आया है। चूने में बालू, जल आदि मिलाने पर प्लास्टर बनता है, जो सूखने पर कठोर हो जाता है। और धीरे धीरे वायुमंडल के कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रियाकर कैलसियम कार्बोनेट में परिणत हो जाता है।
कैलसियम अनेक तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन आयोडीन, नाइट्रोजन सल्फर आदि ) के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनता है। कैलसियम क्लोराइड, हाइड्रोक्साइड, तथा हाइपोक्लोराइड का एक मिश्रण कैक्लो 2 कै (औहा)2 हा2 औ [CaCI2 Ca (OH)2 H2O] और के (औक्लो)2 [Ca OCI2] ब्लिचिंग पाउडर कहलाता है। जो वस्त्रों आदि के विरंजन में उपयोगी है। कैलसियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट भी उपयोगी है।
अपाचयक तत्व होने के कारण कैलसियम अन्य धातुओं के निर्माण में काम आता है। कुछ धातुओं में कैलसियम मिश्रित करने पर उपयोगी मिश्र धातुएँ बनती हैं। कैलसियम के यौगिक के अनेक उपयोग हैं। कुछ यौगिक (नाइट्रेट, फॉसफेट आदि) उर्वरक के रूप में उपयोग में आते है। कैलसियम कार्बाइड का उपयोग नाइट्रोजन स्थिरीकरण उद्योग में होता है। और इसके द्वारा एसोटिलीन गैस बनाई जाती है। कैलसियम सल्फेट द्वारा प्लैस्टर आफॅ पैरिस बनाया जाता है। इसके अतिरक्ति कुछ यौगिक चिकित्सा, पोर्स्लाेिन उद्योग, काच उद्योग, चर्म उद्योग तथा लेप आदि के निर्माण में उपयोगी है। भारत के प्राचीन निवासी कैलसियम के यौगिक तत्वों से परिचित थे। उनमें चूना (कैलसियम आक्साइड) मुख्य है। मुहें-जो-दड़ों और हड़प्पा के भग्नावशेषों से ज्ञात होता है तत्कालीन निवासी चूने का उपयोग अनेक कार्यों में करते थे। चूने के साथ कतिपय अन्य पदार्थों के मिश्रण से वज्रलेप तैयार करने का प्राचीन साहित्य में प्राप्त होता है। चरक ने ऐसे क्षारों का वर्णन किया है जिनको विभिन्न समाक्षारों पर चूने की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता था। कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कोपिया नामक एक स्थान से काँच बनाने के एक प्राचीन कारखाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उसका काल लगभग पाँचवी शती ईसवी पूर्व अनुमान किया जाता है। वहाँ से मिली काँच की वस्तुओं की परीक्षा से ज्ञात हुआ है कि उस काल के काँच बनाने में चूने का उपयोग होता था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ