आयतन
आयतन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 397 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भिक्षु जगदीश काश्यप |
आयतन 12 होते हैं - छह भीतर के और छह बाहर के। चक्षु, श्रोत्र, घ्रााण, जिह्वा, काय और मन - ये छह भीतर के आयतन हैं। इन्हें आध्यात्मिक आयतन भी कहते हैं। रूप, शब्द, गंध, रस, स्पर्श और धर्म-ये छह बाहर के आयतन हैं। इन्हें बाह्यतन भी कहते हैं। प्राणी की सारी तृष्णाओं के घर ये ही 12 हैं। इसी से उन्हें आयतन कहते हैं। आधुनिक विज्ञान में किसी पिंड का आयतन वह स्थान है जो पिंड छेंकता है और इसे घन एककों में नापा जाता है, जैसे घन इंचों या घन सेंटीमीटरों में।
टीका टिप्पणी और संदर्भ