इंका
इंका
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 478 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | लेखराज सिंह |
इंका दक्षिणी अमरीका के रेड इंडियन जाति की एक गौरवशाली उपजाति थी। सन् 1100 ई. तक इंका लोग अपने पूर्वजों की भांति अन्य पड़ोसियों जैसा ही जीवन व्ययतीत करते थे, परंतु लगभग सन् 1100 ई. में कुछ परिवार कुसको घाटी में पहुँचे जहाँ उन्होंने आदिम निवासियों को परास्त करके कुज़को नामक नगर का शिलान्यास किया। यहाँ उन्होंने लामा नामक पशु के पालन के साथ-साथ कृषि भी आरंभ की। कालांतर में उन्होंने टीटीकाका झील के दक्षिण पश्चिम में अपने राज्य को प्रशस्त किया। सन् 1528 ई. तक उन्होंने पूरू इक्वेडर, चिली तथा पश्चिमी अर्जेंटीना पर भी कब्जा कर लिया। परंतु यातायात के साधनों के अभाव में तथा गृहयुद्ध के कारण इंका साम्राज्य छिन्न-विच्छिन्न हो गया।
इंका प्रशासन के संबंध में विद्वानों का ऐसा मत है कि उनके राज्य में सच्चा राजकीय समाजवाद (स्टेट सोशियलिज्म) था तथा सरकारी कर्मचारियों क चरित्र अत्यंत उज्वल था। इंका लोग कुशल कृषक थे। इन्होंने पहाड़ियों पर सीढ़ीदार खेती का प्रादुर्भाव करके भूमि के उपयोग का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया था। आदान प्रदान का माध्यम द्रव्य नहीं था, अत: सरकारी करों का भुगतान शिल्पों की वस्तुओं तथा कृषीय उपजों में किया जाता था। ये लोग खानों से सोना निकालते थे, परंतु उसका मंदिरों आदि में सजावट के लिए ही प्रयोग करते थे। ये लाग सूर्य के उपासक थे और ईश्वर में विश्वास करते थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ