उशना
उशना
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 148 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | बल्देव उपाध्याय |
उशना प्रख्यात वैदिक ऋषि तथा राजनीति के आचार्य। वेद तथा पुराणों में इनका चरित्र चित्रित है। ऋग्वेद में उशना कवि (4।26।1) एवं काव्य (1।51।10; 4।16।2) विशेषण के साथ अभिहित किए गए हैं तथा कुत्स और इंद्र के साथ इनका उल्लेख बहुश: उपलब्ध होता है। ब्राह्मणों (पंचविंश 7।5।20); शांखायन श्रौत सूत्र (14।27।1) के अनुसार देव-दानव-युद्ध के अवसर पर इन्होंने असुरों का पौरोहित्य किया था। पुराणों के अनुसार स्वायंभू मन्वंतर में ये भृगुपूत्र कवि के पुत्र (उपनाम 'काव्य') बतलाए गए हैं। प्रिय्व्रात राजा की कन्या ऊर्जस्वती इनकी स्त्री थी। भागवत (स्कंध 7 अ.5) के अनुसार ये दैत्यों के पुरोहित थे और इनकी अनुपस्थिति में जब वे जंगल में तपस्या करने गए थे तब इनके दोनों पुत्रों-शंड और मर्क-ने हिरण्यकशिपु का पौरोहित्य किया था। भृगुवंश में उत्पन्न होने से ये 'भार्गव' भी कहे जाते हैं। कौटिल्य ने उशना का उल्लेख प्राचीन अर्थशास्त्रवेत्ता आचार्यों में किया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ