एडवर्ड झील
एडवर्ड झील
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 236 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
एडवर्ड (झील) यह मध्य अफ्रीका की एक प्रमुख झील है। पहले यह अल्बर्ट-एडवर्ड-न्यांजा के नाम से विख्यात थी। यह अल्बर्टाइन धसान घाटी (ङत्ढद्य ज्aथ्थ्ड्ढन्र्) में 0रू 8' से 0रू 40' द.अ. और 29रू 28' से 29रू 52' पू.दे. तक फैली तथा प्राय: अंडाकार है। इसका किनारा बहुत कम कटा छँटा है। यह उत्तर-पूर्व में 25 मील लंबी तथा 2 फर्लांग से लेकर 1 मील तक चौड़ी जलधारा द्वारा द्वेरू (क़््ध्रड्ढद्धद्व) झील से मिली हुई है, जो विषुवत् रेखा के उत्तर तक फैली है। एडवर्ड झील 44 मील लंबी और 32 मील चौड़ी हैं। दोनों झीलों का क्षेत्रफल लगभग 820 वर्ग मील है। इस झील का एकमात्र निकास, सेमलीकी, इसके उत्तर-पश्चिमी छोर पर हैं। इस झील की सुषमा बड़ी मनोहर है। सूखे मौसम में जल के ऊपर कुहरा सा छाया रहता है, जिससे आसपास की पहाड़ियाँ बिलकुल दिखलाई नहीं पड़ती हैं। वर्षा ऋतु में जब आकाश स्वच्छ रहता है तो पश्चिम और उत्तर-पश्चिम की ओर झील को घेरे हुए पर्वतों की छटा देखते ही बनती है। झील का जल निर्मल, हल्के हरे रंग का है। इसमें मछलियों और जलकुक्कुटों की भरमार है। घड़ियाल और दरियाई घोड़े दक्षिणी दलदली भागों में मिलते हैं। इस झील के पूरे क्षेत्र का पता सन् 1902-04 ई. के आंग्ल-जर्मन सीमा आयोग के कार्यो से चला था। इसे खोजने का श्रेय मुख्यत: एच.एम.स्टेनली को हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ