ओथेलो (द मूर ऑव वेनिस)

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:२५, ३ मई २०१७ का अवतरण ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
ओथेलो (द मूर ऑव वेनिस)
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 297
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रामावध द्विवेदी

ओथेलो, द मूर ऑव वेनिस शेक्सपियर का एक प्रसिद्ध दु:खांत नाटक जिसका अभिनय पहली बार सन्‌ 1604 ई. और प्रकाशन सर्वप्रथम सन्‌ 1622 ई. में हुआ। इसकी गणना हैमलेट, मेकबेथ तथा किंग लियर के साथ शेक्सपियर के प्रमुख चार दु:खांत नाटकों में होती है।

ओथेलो एक साहसी मूर योद्धा है जो वेनिस राज्य के सेनापति के पद पर कार्य करता है। वेनिस के राजकीय सिनेट के सदस्य ब्रैबेंसियो की पुत्री डेस्‌डिमोना ओथेलो के साहसपूर्ण कार्यो की कथा से प्रभावित होकर गुप्त रूप से उससे विवाह कर लेती है। पता चलने पर ब्रैबेंसियो तथा उसके परिवार के लोग इस बात से बहुत रुष्ट होते हैं और ड्यूक के संमुख इस मामले को पेश करते हैं। इसी समय तुर्को द्वारा साइप्रस पर संभावत आक्रमण की सूचना मिलती है और रक्षार्थ ओथेलो का वहाँ भेजा जाना परम आवश्यक हो जाता है। अंततोगत्वा ब्रैबेंसियो ओथेलो और डेस्डिमोना के विवाह को स्वीकार करता है तथा पति पत्नी साइप्रस के लिए प्रस्थान करते हैं।

साइप्रस में ओथेलो अपने कार्य का निर्वाह सफलतापूर्वक करता है किंतु शीघ्र ही कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ उसका जीवन दु:ख पूर्ण बना देती हैं। वह कैसियो नामक एक फ़्लोरेंटाइन पदाधिकारी के कार्य से प्रसन्न होकर उसकी पदवृद्धि करता है। इस बात से इयागो नामक कुटिल अफसर अप्रसन्न होता है, क्योंकि इस प्रकार उसकी दीर्घकालीन सेवाओं की अवहेलना होती है। इयागो, जो अत्यंत कुचक्री है, ओथेला के विरुद्ध षड्यंत्र में लग जाता है। उसकी चालबाजी से प्रभावित होकर ओथेलो कैसियो से अप्रसन्न होता है और उसे पदच्युत कर देता है। इयागो कैसियो से मिलकर उसे यह सलाह देता है कि वह डेस्‌डिमोना से यह प्रार्थना करे कि वह उसकी सिफारिश ओथेलो से कर दे। जब सरल स्वभाववाली डेस्‌ डिमोना कैसियो की सिफारिश ओथेलो से करती है तब इयागो ओथेलो के मन में उसके और कैसियो के अनुचित प्रणयसंबंध का संदेह उत्पन्न कर देता है। इस संदेह को पुष्ट करने के लिए वह षड्यंत्र द्वारा ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करता है कि ओथेलो द्वारा डेस्‌ डिमोना को दिया हुआ रूमाल कैसियो के पास मिलता है। गहरे संदेह से उत्तेजित होकर ओथेलो सोती हुई डेस्‌ डिमोना का वध करता है। साथ ही साथ इयागो राडरिगो नामक हत्यारे द्वारा कैसियो के वध की व्यवस्था करता है। कैसियो मरता नहीं, केवल आहत होता है और इयागो रहस्योद्घाटन के भय से राडरिगो का वध कर डालता है। मृत राडरिगो के पास इयागो का एक पत्र मिलता है जिससे सिद्ध हो जाता है कि डेस्‌डिमोना नितांत निर्दोष थी। पश्चात्ताप से मर्माहत होकर ओथेलो आत्महत्या करता है।

यह दु:खांत नाटक रोचक कथानक के अतिरिक्त डेस्‌डिमोना, ओथेलो, विशेषत: इयागो के चरित्रचित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं।[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सं.ग्रं.–बैडले : ए.सी., शेक्सपियरिअन ट्रैजेडी, 1952; अल्लरदाइक, निकोल : स्टडीज़ इन शेक्सपियर, 1927; जी.बी. हैरिसन : शेक्सपियर्स ट्रैजेडीज़, 1951; ग्रैनविल्ले बार्कर : प्रीफ़ेस टु शेक्सपियर।