कपोतक
कपोतक
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 402 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सुरेश सिंह |
कपोतक (डव) एक पक्षी है, जो कबूतरों (कोलंबिडी गण) का निकट संबंधी है। यह पँड़की, फाखता, पंडुक और सिरोटी के नाम से भी प्रसिद्ध है। वैसे तो इसकी कई जातियाँ सारे संसार में फैली हुई हैं, परंतु उनमें निम्नलिखित विशेष प्रसिद्ध हैं :
धवर (रिंग डव)
यह कद में सब कपोतकों से बड़ा और राख के रंग का होता है जिसके गले में काला कंठा सा रहता है।
काल्हक (टर्टल डव)
यह धवर से कुछ छोटा और भूरे रंग का होता है। इसके ऊपरी भाग पर काली चित्तियाँ और चिह्न पड़े रहते हैं।
चितरोखा (स्पॉटेड डव)
यह काल्हक से कुछ छोटा, परंतु सबसे सुंदर होता है। इसके अगले ऊपरी काले भाग में सफेद बिंदियाँ और पिछले भूरे भाग में कत्थई चित्तियाँ पड़ी रहती हैं।
टूटरूँ (ब्राउन डव)
यह उपर्युक्त तीनों कपोतकों से छोटा होता है। इसका ऊपरी भाग भूरा और छाती से नीचे का भाग सफेद रहता है। गले पर काली पट्टी रहती है जिसपर सफेद बिंदियाँ रहती हैं।
इँटकोहरी (रेड टर्टल डव)
इसका रंग ईटं जैसा और कद सबसे छोटा होता है। पूँछ के नीचे का भाग सफेद और गले में काला कंठा रहता है।
स्टॉक डव
यह धवर से कुछ छोटा होता है, परंतु रंग उससे कुछ गाढ़ा होता है। इसके गले में धवर की तरह कंठा नहीं रहता। इसकी मादा पेड़ों के कोटरों में अंडे देती है।
कॉलर्ड या बारबरी डव
यह उत्तरी अमरीका का प्रसिद्ध कपोतक है जिसके शरीर का रंग चंदन के समान और गले में काला कंठा रहता है।
शैल कपोतक (रॉक डव)
इनसे हमारे पालतू कबूतर उत्पन्न किए गए हैं।
विपाली कपोतक (मोर्निग डव)
यह छोट कद का होता है।
कपोतक १२ इंच तक लंबे, भोले भाले पक्षी हैं। इनकी प्रकृति, स्वभाव तथा अन्य बातें कपोतों से मिलती जुलती हैं। कपोत की तरह ये भी अनाज और बीज आदि से अपना पेट भरते हैं और इन्हीं की भाँति इनका अंडा देने का समय भी साल में दो बार आता है। तब मादा अपने मचाननुमा, तितरे बितरे घोंसले में दो सफेद अंडे देती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ