चंदासाहेब

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  • चंदासाहेब कर्नाटक के नवाब दोस्तअली का दामाद तथा दीवान। सेनानायक चंदासाहेब वीर, युद्धप्रिय और महत्वाकांक्षी व्यक्ति था।
  • कर्नाटक पर मराठों के आक्रमण (१७४०-४१) में दोस्तअली की मृत्यु हुई और चंदासाहेब बंदी बना।
  • प्राय: ८ वर्षो की कैद के बाद १७४८ में चंदासाहब के फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले तथा निजामी के दावेदार मुजफ्रफरजंग की सहायता से तत्कालीन नवाब अनवररुद्दीन को अंबर के युद्ध में परास्त कर, उसका अंत कर दिया (३ अगस्त, १७४९)। पश्चात्‌, ७ अगस्त को अर्काट में आया।
  • अनवरुद्दीन के पुत्र मोहम्मद अली न त्रिचनापल्ली में शरण ली थी।
  • चंदासाहेब ने त्रिचनापल्ली पर घेरा डालने का निश्चय किया, किंतु बीच ही में तंजौर पर आक्रमण कर दिया, जो असफल प्रमाणित हुआ (१७५०)। इधर, अपनी संकटापन्न स्थिति देश अंगरेजों ने मोहम्मद अली तथा मुजफ्फरजंग के प्रतिद्वंद्वी नासिरजंग का पक्ष ग्रहण किया।
  • अत: त्रिचनापल्ली के दूसरे आक्रमण पर, पहिले तो क्लाइव ने अर्काट पर इतिहास प्रसिद्ध धावा बोल चंदासाहेब की सैन्य शक्ति विभाजित कर दी, फिर क्लाइव तथा लारेंस ने फ्रांसीसी सेनानायकों को आत्मसमर्पण के लिये विवश कर दिया (१७५२)
  • चंदासाहेब ने भी मोना जी नामक तंजोरी सैनिक के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया (१२ जून, १७५२), जिसने दो दिन बाद ही चंदा सहेब का वध कर डाला।


टीका टिप्पणी और संदर्भ