गोरख प्रसाद
गोरख प्रसाद
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 29 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेव सहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सत्य प्रकाश |
गोरखप्रसाद (सन् १८९६-१९६१) गणितज्ञ, हिंदी विश्वकोश के संपादक तथा हिंदी में वैज्ञानिक साहित्य के लब्धप्रतिष्ठ और बहुप्रतिभ लेखक थे। जन्म २८ मार्च, १८९६ ई. को गोरखपुर में हुआ था। ५ मई, १९६१ ई. को वाराणसी में अपने नौकर की प्राणरक्षा के प्रयत्न में इनकी भी जलसमाधि हो गई।
सन् १९१८ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इन्होंने एम.एस-सी. परीक्षा उत्तीर्ण की। ये डा. गणेशप्रसाद के प्रिय शिष्य थे। उनके साथ इन्होंने सन् १९२० तक अनुसंधान कार्य किया। महामना पं. मदनमोहन मालवीय जी की प्रेरणा से ऐडिनबरा गए और सन् १९२४ में गणित की गवेषणाओं पर वहाँ के विश्वविद्यालय से डी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की। २१ जुलाई, १९२५ ई. से प्रयाग विश्वविद्यालय के गणित विभाग में रीडर के पद पर कार्य किया। वहाँ से २० दिसंबर, १९५७ ई. को पदमुक्त होकर नागरीप्रचारिणी सभा द्वारा संयोजित हिंदी विश्वकोश का संपादन भार ग्रहण किया। हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा १९३१ ई. में 'फोटोग्राफी' ग्रंथ पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला। संवत् १९८९ (सन् १९३२-३३ ई.) में काशी नागरीप्रचारिणी सभा से उनकी पुस्तक 'सौर परिवार' पर डा. छन्नूलाल पुरस्कार, ग्रीब्ज़ पदक तथा रेडिचे पदक मिले। उनकी कुछ मुख्य पुस्तकें : फलसंरक्षण (१९३७), उपयोगी नुस्खे, तर्कीबें और हुनर (१९३९), लकड़ी पर पालिश (१९४०), घरेलू डाक्टर (१९४०), तैरना (१९४४) तथा सरल विज्ञानसागर (१९४६) हैं। ज्योतिष और खगोल के ये प्रकांड विद्वान् थे। इनपर इनकी नीहारिका (१९५४), आकाश की सैर (१९३६), सूर्य (१९५९), सूर्यसारिणी (१९४८), चंद्रसारिणी (१९४५) और भारतीय ज्योतिष का इतिहास (१९५६) पुस्तकें हैं। अंग्रेजी में गणित पर बी. एस-सी. स्तर के कई पाठ्य ग्रंथ हैं, जिनमें अवकलन गणित (Differential Calculus), तथा समाकलन गणित (Integral Calculus) हैं। इनका संबंध अनेक साहित्यिक एवं वैज्ञानिक संस्थाओं से था। सन् १९५२ से १९५९ तक विज्ञान परिषद् (प्रयाग) के उपसभापति और सन् १९६० से मृत्युपर्यंत उसके सभापति रहे। हिंदी साहित्य सम्मेलन के परीक्षामंत्री भी कई वर्ष रहे। काशी में हिंदी सहित्य सम्मेलन के २८वें अधिवेशन में विज्ञान परिषद् के अध्यक्ष थे। बनारस मैथमैटिकल सोसायटी के भी अध्यक्ष था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ