अक्कादी
अक्कादी
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 67 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | मोहनलाल तिवारी। |
अक्कादी सुमेर और अक्काद, बेबीलोनिया (पश्चिमी एशिया के कतिपय क्षेत्र का प्राचीन नाम जिस पर रोमन साम्राज्यवादियों का अधिकार था) के दो प्रमुख क्षेत्र थे। इन दोनों की जनता की भाषाई एवं नृवंश शास्त्रीय विभिन्नता को व्यक्त करने एवं दोनों की भाषा एवं नृवंश वर्गों के प्रतिनिधित्व के लिए कालांतर में सुमेरियन एवं अकादियन (अकूदी या अक्कादी) भाषाओं का प्रचलन हो गया। मेसोपोटामिया क्षेत्र में 3000 ई. पू. स. तक अक्कादी भाषा बोली जाती थी, कालांतर में नवीन भाषा का विकास होने लगा। मध्य काल में अरब साम्राज्यवाद के विस्तार एवं धर्मांतरण के कारण अक्कादी भाषाभाषी समुदाय का मूलोच्छेदन हो गया, अत यह अब एक मृतभाषा हो गई है। यहाँ के निवासी सामी भाषा परिवार की बोलियाँ बोलते हैं, जो वास्तव में अरबी (उत्तरी अरबी) की बोलियाँ हैं। अक्कादी भाषा कीलाक्षरों (क्यूनिफार्म लिपि) में लिखी जाती थी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ