उरगपुर

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १३:२३, ४ फ़रवरी २०१४ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

उरगपुर चोल साम्राज्य की तीन राजधानियों में से पहली थी। एक समय उरगपुर पल्लवों के अधिकार में था और जब उनकी चालुक्यों से शत्रुता चल रही थी, तब जैसा चालुक्य अभिलेख[१] से प्रकट है कि चालुक्य राज विक्रमादित्य प्रथम ने कांची पर तो अधिकार कर ही लिया, महामल्ल के कुल का नाश करता हुआ वह उरगपुर तक जा पहुँचा था।

  • महाकवि कालिदास ने उरगपुर को पांड्यों की राजधानी कहा है।[२]
  • करिकाल चोल ने पांड्यों का आधिपत्य हटाकर उरगपुर को वीरान कर दिया था।
  • इसी नगर के निकट से चोलों की शक्ति का उत्कर्ष 850 ई. से पहले विजयालय ने किया था।
  • उरगपुर का वर्तमान प्रतिनिध त्रिचनापल्ली के पास 'उरय्युर' है।[३]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. एपिग्रैफ़िया इंडिका, खंड 10, पृ. 100-106)
  2. रघुवंश 6.59
  3. ओंकारनाथ उपाध्याय, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 138