कपूरथला

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लेख सूचना
कपूरथला
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 400
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक नर्मदेश्वर प्रसाद, कृष्णदेव प्रसाद सिंह

(1) कपूरथला नगर पंजाब के कपूरथला नामक पूर्व राज्य का प्रमुख नगर एवं राजधानी था। यह व्यास नदी के लगभग १७ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह नगर संभवत: ११वीं शताब्दी में जैसलमेर के राजपूत राजा राणा कपूर द्वारा स्थापित हुआ था। मुगल साम्राज्य के छिन्न-भिन्न होने पर एक मुसलमान सरदार ने इस नगर को अपने अधीन कर लिया था, जिसे सन्‌ १७८० ई. में सरदार जस्सासिंह ने पुन: छीन लिया। इस नगर में राजप्रासाद के अतिरिक्त और भी अनेक सुंदर भवन हैं। यहाँ की नगरपालिका की मुख्य आय चुंगी से होती है। यहाँ रणधीर महाविद्यालय के अतिरिक्त कई माध्यमिक शिक्षा संस्थाएँ भी हैं।

(2) कपूरथला राज्य सिंधु-गंगा के मैदानी भाग में पूर्वी पंजाब राज्यसंघ का एक सिक्ख राज्य था जो जालंधर से आठ मील पश्चिम व्यास नदी के किनारे, उत्तर में होशियारपुर जिला से लेकर दक्षिण में सतलुज नदी तक, बसा हुआ था। इस राज्य का क्षेत्रफल ६५२ वर्ग मील तथा जनसंख्या ३,७८,३८० थी। बीच दोआबा में पड़ने के कारण यहाँ की भूमि बहुत उपजाऊ है, किंतु यहाँ नहरें नहीं हैं। वर्षा आवश्यकतानुसार पर्याप्त नहीं होती, अतएव कुओं द्वारा सिंचाई करके ही कृषि की जाती है। यह राज्य साधारणत: दो भागों में विभक्त था जिसका एक भाग व्यास नदी के किनारे उत्तर-पूरब से लेकर दक्षिण-पश्चिम, सतलुज नदी तक, फैला था। यह भाग राज्य के शेष भाग से इस्टर वैइन नदी द्वारा विभक्त था। यह भूखंड अपनी अच्छी जलवायु तथा उपजाऊ भूमि के कारण कृषि के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। इस भाग में कपास, ईख, गेहूँ, जौ तथा तंबाकू की अच्छी उपज होती है। राज्य का दूसरा शेष भाग 'भुंग इलाका' था जिसमें छोटे-छोटे गाँव बसे हुए हैं। यहाँ कुओं द्वारा सिंचाई करके कुछ गेहूँ, जौ उत्पन्न कर लिया जाता है। सिवालिक पर्वत से निकलनेवाली छोटी-छोटी तीव्रगामिनी बरसाती नदियों द्वारा इस प्रदेश का संपूर्ण क्षेत्र प्राय: प्रवाहित रहता है, किंतु ये नदियाँ दीर्घजीवी नहीं हैं अतएव सिंचाई के लिए अनुपयुक्त हैं। इस राज्य को पंजाब प्रदेश में सम्मिलित कर लिया गया है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ