ग्वांगदुंग
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ग्वांगदुंग
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 92 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेव सहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | काशी नाथ सिंह |
ग्वांगदुंग (Kwantung) प्रांत चीन के दक्षिणपश्चिमी भाग में फैला हुआ या समुद्रतटीय प्रांत है, जिसके उत्तर में हुनान तथा ग्यांगसो, उत्तर-पूर्व में फुकिएन, दक्षिण तथा पूर्व में दक्षिणी चीन सागर और पश्चिम में ग्वाँगसी प्रांत हैं।
समीपवर्त्ती समुद्रतटीय प्रांतों, फुकिएन तथा चेग्याँग, की तरह ही ग्वाँगदुंग प्रांत में भी पर्वतीय श्रेणियाँ तथा अंत:स्थित लंबी घाटियाँ समुद्रतट के समांतर स्थित हैं। इनके समांतर होने तथा अधिकांशत: ग्रेनाइट चट्टानों से निर्मित होने के कारण प्रांत के अंतर्भाग से तटीय क्षेत्र तक जाने के मार्ग बहुत कम तथा कठिन हैं। इनसे होकर केवल दो प्रमुख नदियाँ गुजरती हैं- पूर्व में हान नदी (हान ग्याँग) तथा मध्य में शी नदी (शीजियांग)। हान घाटी का ऐतिहासिक, भौगोलिक, भाषागत तथा अन्य संबंध अपेक्षाकृत फुकिएन प्रांत से अधिक रहा है। अंतर्भाग में स्थित पहाड़ियाँ बलुआ पत्थर की बनी है। प्रांत का प्रमुख क्षेत्र शी नदी तथा उसकी सहायक बे (Peh) एवं दुंग (Tung) नदियों की घाटियों में पड़ता है। कैंटन डेल्टा क्षत्र इसका प्रधान केंद्रस्थल है।
यह प्रांत उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में पड़ता है। वर्ष भर समान रूप से ऊँचा ताप एवं अधिक वर्षा होने के कारण यहाँ एक ही खेत में धान की दो तथा फल या सब्जी की एक फसल उपजाई जाती है। धान यहाँ की प्रधान उपज है, लेकिन जनसंख्या अधिक होने के कारण चावल का आयात करना पड़ता है। धान न केवल नदी-घाटियों में प्रत्त्युत पहाड़ी ढालों को सीढ़ीनुमा क्यारियों में काटकर उगाया जाता है। अन्य खाद्य फसलों में कैंटन की नारंगी, निचली दुंग घाटी के केले तथा स्वाताउ (Swatow) डेल्टा का गन्ना प्रसिद्ध है। व्यापारिक फसलों में रेशम के लिये शहतूत, जो पहाड़ी ढालों पर उगता है, तथा चाय मुख्य है। अनुकूल जलवायु के कारण शहतूत की छ: छ:, सात सात फसलें हो जाती हैं, अत: अनुपातत: यहाँ सब प्रांतों से रेशम की पैदावार अधिक होती है। उच्च पर्वतीय ढालों तथा घाटियों के ऊपरी भागों में वन मिलते हैं, लेकिन अधिकांश वन कट जाने के कारण मिट्टी का कटाव अब अधिक भयावह हो गया है। व्यापारिक लकड़ियाँ नदियों में बहाकर लाई जाती हैं। प्रांत भर में बँास मिलता है।
जनसंख्या का अधिकांश उपजाऊ नदी
घाटियों तथा डेल्टाओं में स्थित है। कैंटन डेल्टा यांग्त्सी डेल्टा की तरह ही जनसंकुल है। पर्वतीय भागों में जनसंख्या कम है। कैंटन के पृष्ठक्षेत्र तथा पश्चिमी समुद्रतटीय मैदान में अधिकांशत: कैंटन के लोग रहते हैं, किंतु स्वाताउ डेल्टा तथा पूर्वी समुद्रतटीय मैदान के निवासी 'होक्लो' कहलाते हैं। इनका निकटतम संबंध फुकिएन निवासियों से है। अंतर्भाग के उच्चतर क्षेत्रों, हान, दुंग तथा बे नदियों की ऊपरी घाटियों, के निवासी पर्वतीय जाति के 'हक्क' कहलाते हैं। इनके अतिरिक्त म्याव, याव आदि आदिम जातियाँ पश्चिम में रहती हैं।
ग्वांगदुंग प्रांत, विशेषत: कैंटन क्षेत्र राजनीतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण हैं। कैंटन क्षेत्र के द्वारा ही सर्वप्रथम यूरोपियनों का आगमन हुआ। सदियों तक कैंटन चीन का एकमात्र पत्तन रहा, जहाँ से विदेशों से व्यापार किया जा सकता था। ग्वाँगदुंग तथा फुकिएन प्रांतों के रास्तों से उत्तर तथा मध्य चीन से चीनियों का दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व में समावेश हुआ। विदेशों से प्रारंभिक राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं व्यापारिक संबंध होने के कारण यहाँ जागरूकता अधिक रही। आधुनिक चीन के निर्माता डा. सन यात सेन का जन्म कैंटन के पास ही हुआ था।
कैंटन दक्षिणी चीन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पत्तन तथा इस प्रांत की राजधानी है इस प्रांत में रेशम बुनना, कसीदाकारी तथा मिट्टी के बरतन बनाने के घरेलू उद्योग धंधे होते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ