अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा अभिकरण

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १३:४९, १० मार्च २०१५ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा अभिकरण
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 40
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कैलाश चंद्र शर्मा

अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा अभिकरण की स्थापना 29 जुलाई, सन्‌ 1957 ई. में की गई थी। न्यूयॉर्क स्थित राष्ट्रसंघ के मुख्यालय में 26 अक्टूबर, 1957 को आयोजित एक अंतरर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इसकी संविधि स्वीकृत की गई। संयुक्त राष्ट्रसंघ से इसका संबंध एक समझौते के माध्यम से जोड़ा गया है।

अभिकरण के कार्य

  1. सार्वभौमिक स्तर पर शांति, स्वास्थ्य तथा समृद्धि को त्वरायित एवं परिवर्धित करने की दिशा में परमाणु ऊर्जा का उपयोग।
  2. इस तथ्य के प्रति सजग रहना कि अभिकरण द्वारा इसकी संस्तुति पर तथा इसकी देखभाल अथवा नियंत्रण में दी जाने वाली सहायता का उपयोग कहीं सैनिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तो नहीं किया जा रहा है।
  3. अभिकरण सदस्य राष्ट्रों को (जनवरी, 1970 ई. तक इनकी संख्या 103 थी) पारमाणविक शक्ति के विकास (जिसमें जल के अपक्षारीकरण में पारमाण्विक शक्ति का उपयोग भी सम्मिलित है), स्वास्थ्य एवं सुरक्षा तथा रेडियोधर्मिता को नष्ट करने की व्यवस्था इत्यादि के संबंध में परामर्श और तकनीकी सहायता भी देता है।
  4. कायचिकित्सा, कृषि उद्योग तथा जल विज्ञान प्रभृति क्षेत्रों में विकिरण रेडिएशन एवं रेडियो विकिरण समस्थानिकों (रेडियो आइसोटोप्स) के उपयोग को उक्त अभिकरण विशेषज्ञों की सेवा जुटाकर, प्रशिक्षण पाठ्‌यक्रम की व्यवस्था करके, शिक्षावृत्ति (फेलोशिप) देकर, अनुसंधान संबंधी अनुबंध करके, विज्ञान गोष्ठियाँ आयोजित करके तथा तत्संबंधी साहित्य का प्रकाशन करके प्रोत्साहित करता है।

उद्देश्य

सन्‌ 1948 ई. में अब तक इस अभिकरण के माध्यम से लगभग एक हजार विशेषज्ञों की सेवाओं का लाभ विश्व के विभिन्न देश उठा चुके हैं। तीन हजार शिक्षावृत्तियाँ दी गई हैं; 40 लाख डालर से अधिक के उपकरण जुटाए गए हैं और 60 लाख डालर व्यय के अनुसंधान संबंधी अनुबंध हुए हैं। आस्ट्रिया और मोनाको में इस अभिकरण को अनुसंधान प्रयोगशालाएँ हैं। सन्‌ 1964 ई. के दौरान ट्रीस्ट में सैद्धांतिक भौतिकी का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किया गया, जिसका संचालन अब यूनेस्को तथा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा अभिकरण दोनों संयुक्त रूप से कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा का प्रयोग सैनिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए न होने देने की दृष्टि से उक्त अभिकरण ने जिस रक्षोपाय पद्धति का आश्रय लिया है, उसके अंतर्गत 32 राष्ट्रों में 10 पारमाण्विक शक्ति केंद्रों, 68 परमाणु भट्ठियों, चार रूपांतरकारी संयंत्रों, निर्माण संयंत्रों एवं ईधंन को पुन उपयोग लायक बनाने वाले संयंत्रों की देखभाल तथा 74 प्रकार के अन्य कार्यकलाप सम्मिलित हैं।

इस संस्था का एक महानिदेशक होता है। 25 गवर्नरों का बोर्ड इसका कार्य संचालन करता है तथा महाधिवेशन वर्ष में एक बार बुलाया जाता है। इसके मुख्यालय का पता कार्टनैरिग 11-13, ए. 1010, वियना-1, आस्ट्रिया है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ