श्रीमद्भागवत महापुराण दशम स्कन्ध अध्याय 27 श्लोक 25-28
दशम स्कन्ध: सप्तविंशोऽध्यायः (27) (पूर्वाध)
श्रीमद्भागवत महापुराण: दशम स्कन्ध: सप्तविंशोऽध्यायः श्लोक 25-28 का हिन्दी अनुवाद
मुख्य-मुख्य देवता भगवान् की स्तुति करके उन पर नन्दनवन के दिव्य पुष्पों की वर्षा करने लगे। तीनों लोकों में परमानन्द की बाढ़ आ गयी और गौओं के स्तनों से आप-ही-आप इतना दूध गिरा कि पृथ्वी गीली हो गयी। वृक्षों से मधुधारा बहने लगी। बिना जोते-बोये पृथ्वी में अनेकों प्रकार की औषधियाँ, अन्न पैदा हो गये। पर्वतों में छिपे हुए मणि-माणिक्य स्वयं ही बाहर निकल आये । परीक्षित्! श्रीकृष्ण का अभिषेक होने पर जो जीव स्वभाव से ही क्रूर हैं, वे भी वैरहीन हो गये, उसमें भी परस्पर मित्रता हो गयी । इन्द्र ने इस प्रकार गौ और गोकुल के स्वामी श्रीगोविन्द का अभिषेक किया और उनसे अनुमति प्राप्त होने पर देवता, गन्धर्व आदि के साथ स्वर्ग की यात्रा की ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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