पञ्चसप्ततितम (75) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
महाभारत: भीष्म पर्व: पञ्चसप्ततितम अध्याय: श्लोक 24-37 का हिन्दी अनुवाद
रथियों की ओर हाथी और हाथियों की ओर रथी बढ़े। घुड़सवारों पर रथारोही तता रथारोहियों पर घुड़सवार चढ़ आये। राजन्। उस महायुद्ध में घुड़सवार योद्धा घुड़सवारों तथा रथियों पर भी चढ़ दौड़े। इसी प्रकार अश्वारोही हाथीसवारों तथा रथियों पर भी टूट पड़े। रथी और घुड़सवार दोनों ही पैदल सेनाओं आक्रमण करने लगे। राजन्। इस प्रकार अमर्ष में भरे हुए ये समस्त सैनिक एक दूसरे पर धावा करने लगे। भीमसेन, अर्जुन, नकुल, सहदेव तथा अन्य महारथियों से सुरक्षित हुई पाण्डव सेना नक्षत्रों से रात्रि की भाँति सुशोभित हो रही थी। इसी प्रकार भीष्म, कृपाचार्य, द्रोणाचार्य, शल्य और दुर्योधन आदि से घिरी हुई आपकी सेना ग्रहों से आकाश की भाँति शोभा पा रही थी । पराक्रमी कुन्तीकुमार भीमसेन ने द्रोणाचार्य को देखकर वेगशाली अश्वों द्वारा द्रोण की सेना पर धावा किया। युद्ध की स्पृहा रखने वाले पराक्रमी द्रोणाचार्य ने रणभूमि में कुपित हो भीम के मर्मस्थानों को लोहे के नौ बाणों से घायल कर दिया। तब युद्ध में द्रोणाचार्य के द्वारा अत्यन्त आहत होकर भीमसेन ने उनके सारथि को यमलोक भेज दिया। तब प्रतापी द्रोणाचार्य स्वयं ही घोड़ों की बागडोर सँभालते हुए पाण्डव-सेना का उसी प्रकार संहुकर करने लगे, जैसे आग रुई के ढेर को भस्म कर डालती है। वे नरश्रेष्ठ संजय और केकय द्रोणाचार्य तथा भीष्म की मार खाकर रणभूमि से भागने लगे। इसी प्रकार भीम और अर्जुन के बाणों से क्षत-विक्षत हुई आपकी सेना मतवाली स्त्री की भाँति जहाँ-तहाँ मूर्छित होने लगी। भारत। बड़े-बड़े वीरों का संहार करने वाले उस युद्ध में दोनों सेनाओं के व्यूह टूट गये और आपके तथा पाण्डवों के सैनिकों का भयंकर सम्मिश्रण हो गया। भरतनन्दन। हमने आपके पुत्रों का शत्रुओं के साथ अद्भुत पराक्रम देखा था। वे सब-के-सब एक पंक्ति में खड़े होकर युद्ध कर रहे थे। प्रजानाथ। महाबली कौरव तथा पाण्डव एक दूसरे के अस्त्र-शस्त्रों का निवारण करते हुए जूझ रहे थे।
इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अन्तर्गत भीष्मवधपर्व में छठे दिन के युद्ध का आरम्भ विषयक विषयक पचहत्तरवां अध्याय पूरा हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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