श्रीमद्भागवत महापुराण दशम स्कन्ध अध्याय 3 श्लोक 51-53
दशम स्कन्ध: तृतीय अध्याय (पूर्वार्ध)
श्रीमद्भागवत महापुराण: दशम स्कन्ध: तृतीय अध्याय: श्लोक 51-53 का हिन्दी अनुवाद
वसुदेवजी ने नन्दबाबा के गोकुल में जाकर देखा कि सब-के-सब गोप नींद में अचेत पड़े हुए हैं। उन्होंने अपने पुत्र को यशोदाजी की शय्या पर सुला दिया और उनकी नवजात कन्या लेकर वे बंदीगृह में लौट आये। जेल में पहुँचकर वसुदेवजी ने उस कन्या को देवकी की शय्या पर सुला दिया और अपने पैरों में बेड़ियाँ डाल लीं तथा पहले की तरह वे बंदीगृह में बंद हो गये। उधर नन्दपत्नी यशोदाजी को इतना तो मालूम हुआ कि कोई सन्तान हुई है, परन्तु वे यह न जान सकीं कि पुत्र है या पुत्री। क्योंकि एक तो उन्हें बड़ा परिश्रम हुआ था और दूसरे योगमाया ने उन्हें अचेत कर दिया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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