महाभारत शल्य पर्व अध्याय 42 श्लोक 39-41

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द्विचत्वारिंश (42) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)

महाभारत: शल्य पर्व: द्विचत्वारिंश अध्याय: श्लोक 39-41 का हिन्दी अनुवाद

बुद्धिमान विश्वामित्र के इस प्रकार शाप देने पर सरस्वती नदी एक साल तक रक्त मिश्रित जल बहाती रही । तदनन्तर ऋषि, देवता, गन्धर्व और अप्सरा सरस्वती को उस अवस्था में देखकर अत्यन्त दुखी हो गये । नरेश्वर ! इस प्रकार वह स्थान जगत् में वसिष्ठा पवाह के नाम से विख्यात हुआ। वसिष्ठ जी को बहाने के पश्चात् सरिताओं में श्रेष्ठ सरस्वती फिर अपने पूर्व मार्ग पर ही बहने लग गयी ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत शल्य पर्व के अन्तर्गत गदा पर्व में बलदेवजी की तीर्थ यात्रा के प्रसंग में सार स्वतोपाख्यान विषयक बयालीसवां अध्याय पूरा हुआ ।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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