कोलार
कोलार कर्णाटक का एक प्रमुख एवं प्राचीन नगर। (स्थिति 330 8’ उत्तरी अंक्षाक्ष से. 780 8’ सें. पूर्वी देशांतर)। गंग वंश, चोल वंश, विजयनगर के शासकों और फिर बीजापुर के सुल्तान के अधिकार में आया। 1639 ई. में शाहजी को जागीर के रूप में मिला। 1689 ई. में मुगलों के अधिकार में ; 1761 ई. में हैदर अली के अधीन, 1768 ई० में अंग्रेजों के अधीन फिर मराठों का अधिकार और अंत में 1791 ई. में पूर्णत: अंग्रेजों के अधीनस्थ हो गया। ऐतिहासिक अवशेषों में हैदर के पिता फतेह मुहम्मद का मकबरा, प्राचीन किला और कोलारम्मा का मंदिर प्रमुख हैं। यह मंदिर विजय के उपलक्ष में चोल शासकों ने बनवाया था। किले की खाई और दीवाल को समतल करके नगर को विस्तृत कर दिया गया है। यह औद्योगिक नगर भी है। रेशम के कीड़े पालना और रेशमी तथा सूती कपड़े और ऊनी कंबल बुनना, साबुन बनाना इत्यादि उद्योग प्रमुख हैं। यहाँ कई शिक्षण संस्थाएँ हैं। दक्षिणी रेलवे का एक स्टेशन भी है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ