महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 25 श्लोक 12-15

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पंचविंश (25) अध्‍याय: उद्योग पर्व (सेनोद्योग पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: पंचविंश अध्याय: श्लोक 12-15 का हिन्दी अनुवाद

राजा दुर्योधन के पास विशाल वाहिनी एकत्र हो गयी है । कौन ऐसा वीर है, जो स्वयं क्षीण न होकर उस सेना का विनाश कर सके । इस युद्ध में किसी पक्ष की जय हो या पराजय, कोई कल्याण की बात नही देखता हूँ । भला कुन्ती के पुत्र नीच कुल में उत्पन्न हुए दूसरे अधम मनुष्यों के समान ऐसा (निन्दित) कर्म कैसे कर सकते है , जिससे न तो धर्म की सिद्धि होने वाली है और न अर्थ की ही यहां भगवान् श्रीकृष्ण है तथा वृद्ध पाचांलराज दु्रपद भी उपस्थित है । इन सबको प्रणाम करके प्रसन्न करना चाहता हूँ, हाथ जोड़कर आप लोगो की शरण में आया हूँ आप स्वयं विचार करे कि कुरू तथा संजय वंश का कल्याण कैसे हो । मुझे विश्वास है कि भगवान् श्रीकृष्ण अथवा अर्जुन इस प्रकार प्रार्थना पूर्वक कही हुई मेरी बात को ठुकरा नहीं सकते । इतना ही नहीं मेरे मांगने पर अर्जुन अपने प्राण दे सकते है, फिर दूसरी किसी वस्तु के लिये तो कहना ही क्या है, विद्वान् राजा युधिष्ठर ! मेें संधि कार्य की सिद्ध के लियेही यह सब कह रहा हूँ । भीष्म तथा राजा धृतराष्ट्र को भी यही अभिमत है और इसी से आप सब लोग को उŸाम शान्ति प्राप्त हो सकती है ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत के उद्योगपर्व के अन्तर्गत सेनोद्योगपर्व में पुरोहित प्रस्थान विषयक पच्चीसवाँ अध्याय पूरा हुआ ।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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