मंडन सूत्रधार

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लेख सूचना
मंडन सूत्रधार
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 9
पृष्ठ संख्या 96
भाषा हिन्दी देवनागरी
लेखक बलराम श्रीवास्तव
संपादक फुलदेवसहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1967 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

मंडन महाराणा कुंभा (1433-1468 ई.) का प्रधान सूत्रधार (वास्तुविद) तथा मूर्तिशास्त्री था। यह मेदपाट (मेवाड़) का रहने वाला था। रूपमंडन में मूर्तिविधान की इसने अच्छी विवेचना प्रस्तुत की है। मंडन सूत्रधार केवल शास्त्रज्ञ ही न था, अपितु उसे वास्तुशास्त्र का प्रयोगात्मक अनुभव भी था।

  • इसके पिता का नाम षेत या क्षेत्र था जो संभवत: गुजराती था और कुंभाश् के शासन के पूर्व ही गुजरात से जाकर मेवाड़ में बस गया था।
  • मंडन सूत्रधार वास्तुशास्त्र का प्रकांड पडित तथा शास्त्रप्रणेता था। इसने पूर्वप्रचलित शिल्पशास्त्रीय मान्यताओं का पर्याप्त अध्ययन किया था।
  • इसकी कृतियों में मत्स्यपुराण से लेकर अपराजितपृच्छा और हेमाद्रि तथा गोपाल के संकलनों का प्रभाव था।
  • काशी के कवींद्राचार्य (17वीं शती) की सूची में इसके ग्रंथों की नामावली मिलती है।
  • मंडन की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. देवतामूर्ति प्रकरण
  2. प्रासादमंडन
  3. राजबल्लभ वास्तुशास्त्र
  4. रूपमंडन
  5. वास्तुमंडन
  6. वास्तुशास्त्र
  7. वास्तुसार
  8. वास्तुमंजरी
  9. आपतत्व
  • मंडन की 'आपतत्व' के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। रूपमंडन और देवतामूर्ति प्रकरण के अतिरिक्त शेष सभी ग्रंथ वास्तु विषयक हैं।
  • वास्तु विषयक ग्रंथों में प्रसाद मंडन सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें चर्तुदश प्रासाद प्रकार के अतिरिक्त जलाशय, कूप, कीर्तिस्तंभ, पुर, आदि के निर्माण तथा जीर्णोद्धार का भी विवेचन है।
  • एक मूर्तिशास्त्र के रूप में भी मंडन बहुत बड़ा पंडित था। रूपमंडन में मूर्तिविधान की इसने अच्छी विवेचना प्रस्तुत की है।
  • मंडन सूत्रधार केवल शास्त्रज्ञ ही न था, अपितु उसे वास्तुशास्त्र का प्रयोगात्मक अनुभव भी था।
  • कुंभलगढ़ का दुर्ग, जिसका निर्माण उसने 1458 ई. के लगभग किया, उसकी वास्तुशास्त्रीय प्रतिभा का साक्षी है। यहाँ से मिली मातृकाओं और चतुर्विंशति वर्ग के विष्णु की कुछ मूर्तियों का निर्माण भी संभवत: इसी के द्वारा या इसी की देखरेख में हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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