अलंकृत साँप

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लेख सूचना
अलंकृत साँप
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 250
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री निरंकार सिंह


अलंकृत सांप के शरीर पर गहरे रंग की दो पट्टियाँ होती हैं जिनमें से एक आँख के नीचे तथा दूसरी उसके पीछे रहती है। इसका रंग गहरा भूरा होता है और पूरी देह में अधिक गहरी भूरी या काली आड़ी पट्टियाँ रहती हैं जिनमें सफेद आँख जैसे चिह्न बने होते हैं। प्रकृति से यह उग्र है और जरा सा छेड़ने पर तुरंत आक्रामक रुख धारण कर लेता है। छिपकली, मेंढक तथा छोटे सांप इसके आहार हैं। यह अंडप्रजक है।

यह कश्मीर, लद्दाख तथा सिक्किम प्रदेशों में पाया जाता है और इसे वहाँ की स्थानीय भाषा में 'कुलपार' कहते हैं। नर की लंबाई 1500 मिमी. तथा मादा की 1250 मिमी. तक होती है। जंतु विज्ञान में इसका नाम एलैफेहेलेना है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ