अमृतयोग
अमृतयोग
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 207 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री उमाशंकर पाडेंय |
अमृतयोग ज्योतिषशास्त्र का एक योगविशेष। ज्योतिष में वर्णित आनंद आदि 28 योगों में 29 वाँ योग अमृतयोग है। निम्नलिखित स्थितियों में अमृतयोग माना जाता है:
- रविवार उत्तराषाढ़ नक्षत्र,
- सोमवार शतभिषा नक्षत्र,
- भौमवार अश्विनी नक्षत्र,
- बुधवार मृगशिरा नक्षत्र,
- गुरुवार श्लेषा नक्षत्र,
- शुक्रवार हस्त नक्षत्र तथा
- शनिवार अनुराधा नक्षत्र।
यह योग अपने नाम के अनुसार अमृतत्व फल देने वाला है अत: इस योग में यात्रा आदि शुभ कार्य श्रेष्ठ माने जाते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ