अब्सलोम

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०८:५७, २६ दिसम्बर २०१६ का अवतरण ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
अब्सलोम
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 173
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. विश्वंभरनाथ पाडेंय

अब्सलोम दाऊ का तीसरा पुत्र अब्सलोम अपने पिता का अत्यंत दुलारा था। पुरानी पोथी की दूसरी पुस्तक में उसका वर्णन आता है। उसके व्यक्तित्व में अद्भुत आकर्षण था, किंतु वह बेहद अभिमानी और उच्छृंखल था। इसीलिए उसके जीवन का अंत दुख: भरा हुआ। बाइबिल में उसका पहला उल्लेख उस समय का मिलता है जब उसने अपने पिता के ज्येष्ठ पुत्र और अपने सौतेले भाई अमनान की इसलिए हत्या की कि उसने अब्सलोम की सगी बहन तमर के साथ बलात्कार किया। हत्या के अपराध में उसे निष्कासित भी कर दिया गया था, किंतु अंत में जोब के अनुरोध पर उसे दंडमुक्त कर दिया गया। दाऊद की मृत्यु से पूर्व जब उत्तराधिकार का प्रश्न उठा तो अब्सलोम ने विद्रोह कर दिया। दाऊद को अपने थोड़े से अनुयायियों और अंगरक्षकों के साथ जार्डन के पार भाग जाना पड़ा। जुरुसलम के नगर और राज्य के मुख्य भाग पर अब्सलोम का अधिकार हो गया। अब्सलोम ने दाऊद का पीछा किया, किंतु संग्राम में पूरी तरह हार गया। स्वयं जाएब ने उसका वध किया। ऐसे निकम्मे और विश्वासघाती पुत्र की मृत्यु पर भी दाऊद का प्रेमातुर हृदय शोक से भर गया।


टीका टिप्पणी और संदर्भ