ड ऑगस्टिन पिरेम कैंडौल

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १०:५६, १३ जनवरी २०१७ का अवतरण ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
ड ऑगस्टिन पिरेम कैंडौल
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 125
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक मिथिलो चंद्र पांडा, परमेवरीलाल गुप्तु

ड ऑगस्टिन पिरेम कैंडौल (1792-1873 ई.)। अंग्रेज सेनाध्यक्ष जो बाद में लॉर्ड क्लाइड बने। सैनिक के रूप में उन्होंने पेनिनस्युलर तथा क्रीमिया के युद्धों में पराक्रम दिखाया। 1832 ई. में वे लेफ्टिनेंट कर्नल बने और 1842 ई. के चीन युद्ध में भाग लिया। 1848-49 ई. में वे भारत के सिक्ख युद्ध में सम्मिलित हुए और गुजरात विजय के फलस्वरूप के. बी. (सर) की उपाधि से सम्मानित किए गए। 1853 में वे स्वदेश लौटे और सिपाही विद्रोह के समय वे प्रधान सेनापति होकर भारत आए और अवध तथा रुहेलखंड के विद्रोहों का दमन किया फलस्वरूप वे लॉर्ड बना दिये गये। लॉर्ड हार्डिज के समय में उन्होंने उड़ीसा में होनेवाली मानव बलिदान की प्रथा के उन्मूलन में सहायता की थी।


टीका टिप्पणी और संदर्भ