चाल्र्स जान कैनिंग़
चाल्र्स जान कैनिंग़
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 138 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कुमारी शुभदा तेलंग |
चाल्र्स जान कैनिंग़ ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत स्थित अंतिम गवर्नर जनरल (1856-1861 ई.) तथा प्रथम वाइसराय। आक्सफर्ड में विद्वत्ता के कारण इनकी ख्याति रही। जब वे भारत आए उन दिनों देश में अंग्रेजी शासन के विरूद्ध असंतोष फैल रहा था। फलत: 1857 ई. में देशव्यापी सिपाही विद्रोह हुआ। मुसलमानों ने मुगल साम्राज्य तथा हिंदुओं ने नाना की अध्यक्षता में अपना आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास किया। ब्रिटिश सरकार तथा जनता दोनों इस विद्रोह के फलस्वरूप सचेत हुए। भारत का शासन ब्रिटिश पार्लमेंट ने ईस्ट इंडिया कंपनी से अपने हाथो में ले लिया। 1 नवंबर, 1858 को महारानी विक्टोरिया ने घोषणापत्र द्वारा लार्ड कैनिंग को अपना वाइसराय नियुक्त किया। भारत के शासन प्रबंध के लिये इंडिया कौंसिल तथा भारतसचिव की नियुक्ति की गई। कैनिंग के शासनकाल में सैनिक सुधार, अदालतों का सुधार तथा शिक्षासुधार आदि के विधान बने। सार्वजनिक हित के भी कुछ कार्य किए गए जिनमें सड़कें, नहरें, रेलवे लाइन आदि का प्रबंध है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ