कैल्डिया
कैल्डिया
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 146 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
कैल्डिया बाबुल (बैबिलोनिया) का प्राचीन नाम जिसका उल्लेख बाइबिल के पुराण खंड (ओल्ड टेस्टामेंट) में हुआ है। मूलत: यह दजला और फरात के प्राचीन स्वतंत्र मुहानों के बीच के चिकनी मिट्टी वाले मैदान का नाम था और उन दिनों इसकी राजधानी बीत यकीन थी। बाद में इस नाम का प्रयोग असुर (असीरियन) नरेश अदद-नरारी के समय समूचे बाबुल (बैबिलोनिया) के लिये होने लगा। किंतु कैल्डियावासी और बाबुल निवासियों के बीच आनुवांशिक भेद बहुत काल तक बना रहा। ये लोग अरब और अरमियन जातियों से सर्वथा भिन्न थे, ऐसा सेन्नाचेरिब (705-681 ई. पू.) के कथन से ज्ञात होता है। असुर राज्य के पतन और बाबुल के नव-साम्राज्य के उदयकाल के बीच कैल्डिया न केवल समस्त बाबुल के लिये प्रयोग होता रहा वरन् उसमें क तिपय अन्य विदेशी राज्य भी समाहित थे।
कैल्डिया लोग संभवत: पहले पहल सामी जाति के उद्गम केंद्र अरब से फारस की खाड़ी के किनारे किनारे होते हुए आए और उसके निकट बस गए और उसके बाद बाबुल के अन्य सामी लोगों से संघर्षकर तथा अपने आप्रवास द्वारा अपनी शक्ति बढ़ाते गए। अनेक शताब्दियों के इन आक्रमणों के बाद ई. पू. 625 के आसपास नवोपोलस्सर और उनके उत्तराधिकारियों के समय में कैल्डिया लोगों का पूर्ण प्रभुत्व स्थापित हो गया। और धीरे धीरे कैल्डिया और बाबुली लोग एक दूसरे से आत्मसात हो गए और उनकी भाषा एक हो गई। परिणामस्वरूप पीछे चलकर कैल्डिया बाबुलवासियों का पर्याय हो गया और किन्हीं भ्रमों के कारण अरमाइक भाषा को कैल्डी कहा जाने लगा।
टीका टिप्पणी और संदर्भ