कोमीशिया
कोमीशिया
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 163 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | पद्मा उपाध्याय |
कोमीशिया प्राचीन रोमन प्रजातंत्र की एक सभा। इसका शाब्दिक अर्थ संस्थागार है। जनसभाओं के लिये रोम निवासी तीन शब्दों का प्रयोग करते थे------(1) कंसीलियम, जो किसी भी साधारण सभा को कहते थे; (2) कोमीशिया, जिसका तात्पर्य रोम की समस्त जनता की सभा से था (कालांतर में लातीनी भाषा में यह शब्द चुनाव के लिये भी प्रयुक्त होने लगा था); (3) कोशियो। कोमीशिया एवं कोशिया में स्पष्ट अंतर था। कोमीशिया की बैठक में किसी विशेष प्रश्न पर जनता से स्पष्ट राय ली जाती थी, परंतु कोशियो की बैठक में जनता को एकत्र कर या तो राज्य की ओर से कोई आदेश सुनाया जाता; या किसी राजकीय नियम की घोषणा की जाती थी। प्रारंभ में कोमीशिया केवल उच्च वर्ग की सभा थी। परंतु धीरे धीरे जब साधारण वर्ग को राजनीतिक एवं सामाजिक अधिकार मिलने लगे। जैसे भूमि के स्वत्व तथा सैनिक अधिकार, तब इस वर्ग ने भी एक सैनिक सभा; सेन्युरिया, का निर्माण किया जो तत्कालीन रोमन सभाओं में सर्वश्रेष्ठ थी। उसे मतदान का भी अधिकार प्राप्त था। परंतु चँूकि उसके संगठन की आधारशिला भूमि पर अधिकार एवं संपन्नता थी, वह साधारण वर्ग को न अपना सकी। परिणामत: साधारण जनता ने एक भिन्न राजनीतिक संघ स्थापित किया। इसका नाम कोसीलियम लेबिस पड़ा। यह सभा साधारण वर्ग से आनेवाले प्रशासकों का चुनाव करती, उनसे संबंधित मुकदमे सुनती तथा जनता की ओर से कांसुल द्वारा कोमीशिया सेन्युरिया में माँगे पेश करती। उपर्युक्त कार्यों के द्वारा उसे वैधानिक अधिकार मिले। समस्त जनता से संबंधित कोई प्रस्ताव पारित करने का अधिकार भी इसे था। परंतु अब इसका संगठन प्रांतीय जातियों के आधार पर होने लगा, अत: चुनाव के हेतु एक नवीन सुसंगठित जनसभा की आवश्यकता प्रतीत हुई। परिणामत: 357 ई. पू. में वैधानिक सभा कोमीशिया त्रीब्यूता पोपुली का जन्म हुआ।
इस जनसभा की सदस्यता उच्च वर्ग को नहीं प्राप्त थी। इसके अधिकार बहुत महत्वपूर्ण थे। साधारण जनता इसमें अपना मत नि:संकोच प्रकाशित कर सकती थी। परंपरा के अनुसार जनप्रशासक ही इस मतप्रकाशन का आरंभ करता था। इसके न्याय संबंधी अधिकार भी प्रतिबंध से मुक्त थे। प्रशासकों द्वारा किए हुए निर्णय पर इस सभा में अपील हो सकती थी। कालांतर में इस सभा की महत्ता केवल पारंपरिक रह गई; प्रशासकों द्वारा पारित नियमों को यह स्वीकृति प्रदान करती तथा कभी कभी धार्मिक समारोहों के हेतु भी इसका सम्मेलन होता। चुनाव, विधान एवं न्यायसंबंधी कार्यों के हेतु भी इसका सम्मेलन बुलाया जाता। प्रशासकों का चुनाव एवं युद्ध की घोषणा इसके प्रमुख अधिकार थे। प्रजातंत्र के अंतिम दिनों में यह समस्त जनता द्वारा प्रस्तावित एवं पारित नियमों का उद्गम बनी। इसके अध्यक्ष भी जनता में से ही चुने हुए प्रशासक होने लगे।
कोमीशिया का अपना संविधान था जिसके नियमों का उसके सम्मेलनों में पालन होता था। प्रजातंत्र समाप्त हो जाने पर भी कोमीशिया की परंपरा बनी रही। संभवत: तीसरी शताब्दी ई. तक यह परंपरागत नियमों के अनुसार कार्य करती रही।
कोमो इटली का एक प्रांत तथा उस प्रांत की राजधानी जो उसी नाम की झील के दक्षिणपश्चिमी सिरे पर, मिलानो नगर से 24 मील दूर स्थित है। यद्यपि निकटवर्ती देशों का सौंदर्य पर्यटन व्यापार में सहायक है, तथापि यहाँ के निवासियों का जीविकापोर्जन अधिकतर उद्योग पर ही निर्भर करता है। यह स्विटजरलैंड तथा मिलानो के बीच रेलमार्ग का जंक्शन है। यहाँ के प्रमुख उद्योगों में रेशम की कतई एवं बुनाई, अन्य वस्त्रोद्योग, धातु, मोटर के विभिन्न अवयवों और अन्यान्य मशीनों का निर्माण तथा संतरे और जैतून की खेती उल्लेख्य है। यहाँ की जनसंख्या 1961 में 82,070 थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ