कोरोनर
कोरोनर
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 170 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भगवतस्वरूप चतुर्वेदी |
कोरोनर अप्राकृतिक, संदिग्ध अथवा अनिश्चित कारणों से हुई मृत्यु, बंदीगृह में हुई मृत्यु अथवा ऐसी परिस्थितियों में हुई मृत्यु जिनके संबंध में किसी कानून द्वारा पंचायतनामा लिया जाना आवश्यक हो, जाँच करने वाला अधिकारी। कोरोनर के लिये जाँच के निमित्त शव का निरीक्षण करना आवश्यक है और इस जाँच के लिये वह शपथ दिलाकर साक्ष्य एकत्र करता है। यदि वह किसी व्यक्ति को हत्या (भ्रूणहत्या भी) का दोषी पाता है तो उस व्यक्ति को न्यायालय में अभियोगी बनाकर भेजना उसका कर्तव्य होता है। सिटी ऑव लंदन फायर इनक्वेस्ट ऐक्ट, 1888 के अनुसार अग्नि से हानि अथवा शारीरिक क्षति होने पर लंदन नगर एवं उसके उपनगरों में, जो मिडिलसेक्स काउंटी के क्षेत्र में आते हैं, कोरोनर पंचायतनामा तैयार करता है।
इंग्लैंड में संभवत: हेनरी प्रथम (1068-1135) के समय राजकीय हित में शेरिफ की सत्ता पर अंकुश के रूप में कोरानर का पद उद्भूत हुआ। इसका सर्वप्रथम उल्लेख आटिकिल्स ऑव आयर (1194) में मिलता है। इस पद के अभिलाषी का निर्वाचन होता था, और केवल विचारशील तथा न्यायानुकूल आचरण करनेवाले व्यक्ति ही कारोनर चुने जा सकते थे। कोरोनर्स संशोधन अधिनियम, 1926 के अंतर्गत कम से कम 5 वर्ष के अनुभववाला डाक्टर ही कोरोनर निर्वाचित हो सकता है। लंदन काउंटी काउंसिल का नियम है कि विधि एवं चिकित्सा संबंधी योग्यताओं से युक्त व्यक्ति ही कोरोनर नियुक्त किया जा सकता है।
अमरीका में काउंटी के वोटर कोरोनर का चुनाव करते हैं। कहीं कहीं उसे शासन की ओर से भी नियुक्त किया जाता है वहां संदिग्ध मृत्यु का पंचायतनामा तैयार करना कारोनर का कर्तव्य होता है। उसी की आज्ञा से शवपरीक्षा होती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ