इतागाकी ताइसूके
इतागाकी ताइसूके
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 516 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सरिजिनी चतुर्वेदी |
इतागाकी ताइसूके (1837-1919) जापानी राजनीतिज्ञ। जन्म तोसा में। प्रारंभिक ख्याति राजनीतिक सिपाही के रूप में जिसने सामंतवाद का उन्मूलन कर प्राशासनिक शक्ति राजसत्ता के हाथ में एकत्र करने में योग दिया। नवीन विधान में उसे मंत्री का पद मिला (1873)। सरकार की सामरिक नीति से मतभेद होने के कारण उसने त्यागपत्र दे दिया। अपने घर पर जनता को जनतंत्र शासन की प्रशिक्षा देने के उद्देश्य से स्कूल खोले जो बहुत जनप्रिय हुए। देखादेखी ऐसे अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले गए। इतागाकी 'जापान के रूसो' के नाम से विख्यात हुए।
1881 में इतागाकी की अध्यक्षता में जापान का जिऊ-तो नामक पहला राजनीतिक दल बना जिसने देश में संसदीय शासन के प्रचलन में योग दिया। इतागाकी ने अपना सारा जीवन इस दल के संगठन में लगा दिया। 1882 में एक हत्यारे इतागाकी पर वार किया, पर वे बच गए और हत्यारे को संबोधित करते उन्होंने कहा - इतागाकी को मार सकते हों; स्वतंत्रता अमर है। 1887 में उन्हें एक बार फिर से मंत्रिपद और काउंट की उपाधि मिली।
टीका टिप्पणी और संदर्भ