जोजेफ इग्नैशियस क्रेजेवस्की

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:४२, ९ फ़रवरी २०१७ का अवतरण ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
जोजेफ इग्नैशियस क्रेजेवस्की
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 216
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

जोजेफ इग्नैशियस क्रेजेवस्की (1812-1887 ई.)। पोलैंड का प्रख्यात उपन्यासकार। इसका जन्म 28 जुलाई, 1812 ई. को वारसा में हुआ था। उसकी रचनाएँ दो कालों में विभाज्य हैं। एक तो उस काल की हैं जब वह अपनी जमींदारी ग्रोडास में रहता था। इस काल में उसने जर्मोला, उलाना (1843), कार्डेकी (1852 ई.) लिखे। इनमें कोई दिशाविशेष निर्दिष्ट प्रतीत नहीं होती। दूसरी रचनाएँ 1863 ई. के बाद उस काल की हैं जब रूसी सरकार की दृष्टि में वह संदिग्ध माना गया और उसे ड्रेंसडेन में रहने को बाध्य होना पड़ा। इस काल के बोलेश्लेविटा (बोलशेविक) छद्म नाम से लिखे गए राजनीतिक उपन्यास, काउंटेस कैसेेल सदृश ऐतिहासिक उपन्यास तथा मारिचुरी (1874-75 ई.) और रिसम्चुरी (1776 ई.) सदृश सांस्कृतिक रोमांस उल्लेखनीय हैं। अपने इन उपन्यासों के कारण वह अपने देश की अपेक्षा अन्यत्र अधिक प्रख्यात है। 1884 ई. में जर्मन सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र करने के अभियोग में उसे 7 वर्ष के कारावास का दंड दिया गया किंतु वह दूसरे वर्ष ही छोड़ दिया गया और जिनेवा चला गया।

क्रेजेवस्की उपन्यासकार ही नहीं वरन्‌ कवि और नाटककार भी था। उसका प्रख्यात काव्य लिथूनिया के इतिहास पर आधारित ‘अनाफियालाज़’ है जो तीन जिल्दों में प्रकाशित है। साहित्यिक समालोचक, संपादक और अनुवादक के रूप में भी उसका व्यक्तित्व अद्भूत था। उसने अनेक ऐतिहासिक ग्रंथ लिखे हैं और पोलैंड के राष्ट्रीय पुरातत्व के अध्ययन को पुनरुज्जीवित करने का श्रेय उसे प्राप्त है। 19 मार्च, 1887 ई. को जिनोवा में उसकी मृत्यु हुई।



टीका टिप्पणी और संदर्भ