नादेज्दा कंस्तांतिज्का क्रुप्स्काया

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:५०, ९ फ़रवरी २०१७ का अवतरण ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
नादेज्दा कंस्तांतिज्का क्रुप्स्काया
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 213
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक लियो स्तेस्फान शौम्यान

नादेज्दा कंस्तांतिज्का क्रुप्स्काया (1869-1939 ई.)़। लेनिन की सहधर्मिणी और मित्र तथा राष्ट्र और सोवियत कम्यूनिस्ट दल की नेत्री। इनका जन्म एक सैनिक परिवार में पेतरबुर्ग नामक नगर में हुआ था। 1809 ई. में इन्होंने रूसी क्रांति आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। पेतरबुर्ग में लेनिन ने जिस मजदूरवर्ग मुक्ति संघर्ष संघ की स्थापना की थी उसमें क्रुप्स्काया ने 1895 ई. में योगदान किया। उन्होंने 1897 से 1900 ई. तक लेनिन के साथ साइबेरिया में निर्वासित जीवन व्यतीत किया। 1901 ई. में विदेश में रहकर ‘ईस्क्रा’ (स्फुलिंग), ‘ज़पिरोद’ (आगे की ओर) और ‘प्रलितारी’ (सर्वहारा) नामक बोलशेविक समाचार पत्रों के संपादकीय विभाग में सचिव का कार्य किया। अप्रैल, 1918 ई. में रूस लौटने के पश्चात्‌ कम्यूनिस्ट दल की केंद्रीय समिति (बोलशेविक) के कार्यालय में कार्य करती रहीं। 1927 ई. में कम्यूनिस्ट दल की केंद्रीय समिति की सदस्यता चुनी गई। 1929 ई. में रूसी संघात्मक यूनियन के शिक्षा विभाग में शिक्षा विभाग में डिप्टी पीपुल्स कमिश्नर नियुक्त हुई। जनता की शिक्षा के विषय में ये प्रभावशाली विचारक रही हैं। उन्होंने शिक्षाविज्ञान संबंधी अनेक लेख तथा लेनिन के संस्मरण लिखा हैं।




टीका टिप्पणी और संदर्भ