चंपा
चंपा
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 145 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कैलाश चंद्र मिश्र |
चंपा (Artabotrys odoratissimus) इसे हरा, अथवा कटहरी, चंपा कहते हैं। यह एनोनेसिई (Annonaceae) कुल का पौधा है। अरटाबोट्रिस वर्ग के पौधे अफ्रीका तथा पूर्वी एशिया के देशों में पाए जाते हैं। भारत में इस वर्ग की 10 जातियाँ पाई जाती हैं।
इसका पेड़ झाड़ी जैसा, तीन से लेकर पाँच मीटर तक ऊँचा होता है। पत्तियाँ सरल तथा चमकीली हरी होती हैं। फूल अर्धवृत्ताकार डंठल पर लगते हैं। ये डंठल अन्य वृक्षों की डालियों के ऊपर चढ़ने में उपयोगी होते हैं। शुरू में फूल हरे होते हैं, परंतु बाद में इनका रंग हलका पीला हो जाता है। इन फूलों से पर्याप्त सुगंध निकलती है, जिससे इनका पता पेड़ पर आसानी से लग जाता है।
चंपा के पेड़ सजावट एवं सुगंध के लिये बगीचों में प्राय: लगाए जाते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ