शैक अगस्त स्टीनबर्ग क्रोघ
शैक अगस्त स्टीनबर्ग क्रोघ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 223 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
शैक अगस्त स्टीनबर्ग क्रोघ (1874-1949 ई.)। डेनमार्क निवासी शरीर वैज्ञानिक (फ़िजिओलॉजिस्ट)। ग्रेना (डेन मार्क) में 15 नवंबर, 1874 ई. को जन्म। उसकी आरंभिक शिक्षा आर्हुस कैथिड्रल स्कूल में हुई तदनंतर उसने उच्च शिक्षा कोपेनहेगेन विश्वविद्यालय में प्राप्त की। 1899 से 1908 ई. तक विश्वविद्यालय की फ़िजियोलॉजी की अनुसंधानशाला में सहायक रहा। इसी बीच उसने 1903 ई. में मेढकों की श्वास प्रक्रिया पर शोध निबंध लिखकर डाक्टर की उपाधि प्राप्त की। 1908 ई. में वह उसी विश्वविद्यालय में जंतुओं के शरीर विज्ञान का लेक्चरर और 1916 ई. में प्रोफसर बना और इस पद पर वह 1945 ई. तक रहा।
क्रोध ने श्वास प्रक्रिया संबंधी अनेक महत्वपूर्ण खोज किए हैं। 1906 ई. में वह ‘मैकानिज्म़ ऑव गैस एक्सचेंज इन लंग्ज़’ (फुफ्फुस में गैस विनिमय की प्रक्रिया) शीर्षक शोध के लिये विएना अकादमी ऑव सांइस से पुरस्कृत हुआ। उसके बाद वह निरंतर श्वास तथा रक्तसंचार में धमनियों की क्रिया सम्बंधी समस्याओं पर शोध करता रहा। उसने एक ऐसे तत्व को ढूढँ निकाला जो धमनियों के सिकुड़ने को प्रभावित करते हैं। उसके ये शोध चिकित्सा विज्ञान में विशेष महत्व रखते हैं। 1916 ई. में वह डेनिश रायल सोसाइटी ऑव मेडिसिन का फेलो बनाया गया। 1920 ई. में उसे फ़िजिओलॉजी और मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1945 ई. में उसे इंग्लैंड की रायल सोसाइटी का बाली पदक मिला। वाशिंगटन नेशनल अकादमी ऑव साइंस तथा स्वीडन और नार्वे की अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं से उसे सम्मान प्राप्त हुआ। 13 सितंबर, 1949 ई. को उसकी मृत्यु हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ