वित्ररथ
वित्ररथ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 222 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भोलानाथ तिवारी |
चित्ररथ भारतीय पुराणों में चित्ररथ नाम के कई व्यक्ति मिलते हैं : (1) राजा द्रुपट के एक पुत्र। (2) अंगदेश के राजा जो धर्मरथ के पुत्र थे। (3) राजा दशरथ के एक मित्र, जिनका एक अन्य नाम 'रोमपाद' था। ये नि:संतान थे। इनकी नि:संतानता दूर करने के लिये
दशरथ ने अपनी कन्या शांता इन्हे दत्तका रूप में दे दी थी, जिसका विवाह इन्होंने शृंगीऋषि से किया। इसके बाद ऋषियों के परामर्श से इन्होंने पुत्रेष्ठि यज्ञ किया, जिसके परिणाम स्वरूप इन्हे चतुरंग नामक पुत्र उत्पन्न हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ