चिनुक
चिनुक
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 228 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कृष्ण मोहन गुप्त |
चिनुक उत्तरी अमरीका में राकी पर्वतों पर से पश्चिम या उत्तर दिशा से बहनेवाली एक विशेष प्रकार की हवा को चिनुक कहते हैं। राकी के नीचे यह शुष्क हवा के रूप में उतरती है। जाड़े में यह गर्म और गर्मी में कुछ शीतल रहती है। यह चक्रवर्ती के कारण उत्पन्न होती है और कुछ घंटों से लेकर सप्ताहों तक बहा करती है। पूर्वी राकी प्रदेश की जलवायु को यह सम बनाती है। इसके कारण गर्मी से बर्फ शीघ्र पिघलती है और शुष्कता से शीघ्र वाष्पी कृत हो जाती है, जिससे कहा जाता है कि पहाड़ों की ढालों पर से ये हवाएँ बर्फ को चाट जाती हैं। स्विटसरलैंड में बहने वाली ऐसी ही शुष्क और गर्म हवाओं को फॉन (Fohan) कहते हैं। भारत में बहनेवाली 'लू' इस प्रकार की हवाओं से भिन्न है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ