हान्स क्रिशिचयन ऐंडर्सन
हान्स क्रिशिचयन ऐंडर्सन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 267 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | स्कंदगुप्त |
ऐंडर्सन, हान्स क्रिशिचयन (1805-75)। इनका जन्म 2 अप्रैल, 1805 को ओडेन्स (डेन्मार्क) में हुआ। अपने बचपन में ही उन्होंने कठपुतलियों के लिए एक नाटक की रचना कर अपनी भावी कल्पनाशक्ति का परिचय दिया। यह छोटे ही थे जब इनके निर्धन पिता की मृत्यु हो गई। तत्पश्चात् ये ऑपेरा में गायक बनने की इच्छा से कोपेनहागेन आए। इन्होंने इस समय बुरे दिन भी देखे, परंतु कुछ गायक मित्रों की सहायता से काम चलता रहा। गायक बनने की अभिलाषा छोड़कर इन्होंने रॉयल थियेटर में नृत्य सीखना आरंभ किया। रॉयल थियेटर के निर्देशक श्री कॉलिन ने डेन्मार्क नरेश से इनकी प्रशंसा की और कुछ वर्षो के लिए उन्होंने इनकी शिक्षा का भार सॅभाला। 1829 में इन्हें फ़ॉडराइज़' नामक पुस्तक के प्रकाशन के फलस्वरूप प्रथम सफलता प्राप्त हुई। 1833 में डेन्मार्क नरेश ने इनको कुछ धन भ्रमणार्थ दिया, जिससे इनका अनुभव बढ़ा। 1835 में इनकी कथा 'इंप्रोवाइज़ेटर' को बहुत सफलता मिली। इस समय इन्होंने 'फ़ेयरी टेल्स' लिखना आरंभ किया, जिनके द्वारा ये विश्वविख्यात हुए। इन्होंने कई नाटक भी लिखे। 1872 में एक दुर्घटना ने इन्हें किसी योग्य न रहने दिया और 4 अगस्त, 1875 को इनकी मृत्यु हो गई। विश्व के बाल साहित्य और स्कैडिनेविया के साहित्य में इनका सर्वप्रथम स्थान है। विश्व की लगभग सभी भाषाओं में इनकी विख्यात कृतियों का अनुवाद हो चुका है। इनकी मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं : 'फ़ॉडराइज़' (1829), 'रैंबल्स' (1831); 'दि इंप्रोवाइज़ेर' (1835); 'फ़ेयरी टेल्स' (1835-37, 1845, 1847-48, 1852-62, 1871-72); 'ए पिक्चर बुक विदाउट पिक्चर्स' (1840); 'ए पोएट्स बज़ार' (1847); 'द दू बैरोनेसेज़' (1847); 'इन स्वीडेन' (1849); 'आत्मकथा', 'टु बी और नॉट टुबी' (1857) और 'इन स्पेन' (1863)।
टीका टिप्पणी और संदर्भ