हर्बर्ट हेनरी ऐस्क्विथ

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:३२, २१ अप्रैल २०१७ का अवतरण ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
हर्बर्ट हेनरी ऐस्क्विथ
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 289
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक ओंकारनाथ उपाध्याय

ऐस्क्विथ, हर्बर्ट हेनरी (अर्ल ऑव आक्स्फ़र्ड–1852-1928) जन्म यार्कशायर, मार्ले के मध्यवर्गीय व्यापारी परिवार में। पहले बैरिस्टर हुए, फिर देश में नाम कमाकर पार्लमेंट के 1886 में सदस्य और बाद में ग्लैड्स्टन के मंत्रिमंडल में गृहसचिव नियुक्त हुए। निर्बाध व्यापार के वे महान्‌ समर्थक थे। इसी के परिणामस्वरूप वे कैंबेल बैनरमैन के मंत्रिमंडल में चांस्लर ऑव दि एक्स्चेकर हुए। इस संबंध में उन्होंने वृद्धों के पेंशन आदि के जो सुधार किए उनसे उनका इतिहास में नाम सुरक्षित हो गया। ऐस्क्विथ का सबसे महान्‌ कार्य 1911 के 'पार्लमेंट ऐक्ट' का निर्माण था जिसने लार्ड सभा के अधिकार अत्यंत सीमित कर नगण्य कर दिए। इस कार्य ने उन्हें प्राइम मिनिस्टर (प्रधान मंत्री) के अधिकार से संपन्न किया। वे कैंबेल बैनरमैन की बीमारी में ही इंग्लैंड के प्रधान मंत्री हो गए थे। आयरलैंड के संबंध में होमरूल बिल उनके मंत्रिमंडल का दूसरा महत्वपूर्ण प्रयास था।

1914 में जब प्रथम महायुद्ध छिड़ा तब प्रधान मंत्री ऐस्किवथ थे। उन्होंने तब विरोधी दल के साथ मिलकर नया मंत्रिमंडल बनाया। साल भर बाद 1916 में युद्ध-संचालन नीति के प्रश्न पर मतभेद के कारण उन्हें प्रधान मंत्रित्व लायड जार्ज को सौंपकर मंत्रिमंडल से अलग हो जाना पड़ा। अगले चुनावों में हराकर उन्हें पार्लमेंट से भी अलग हो जाना पड़ा। उन्हें 'अर्ल' बना दिया गया और वे लार्ड सभा के सदस्य हो गए। 18 साल के उदार दल के नेतृत्व के बाद उन्होंने वहाँ की बागडोर भी लायड जार्ज को सौंप दी और अपने दल से इस्तीफा दे दिया। लार्ड आक्स्फ़र्ड (हर्बर्ट हेनरी ऐस्क्विथ) इंग्लैंड के महान्‌ प्रधान मंत्रियों में से थे। अपना स्थान उन्होंने अधिकतर अपनी वाक्शक्ति से बनाया था। वे 1928 में मरे।

टीका टिप्पणी और संदर्भ