अभयगिरि
| चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
अभयगिरि
| |
| पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
| पृष्ठ संख्या | 173 |
| भाषा | हिन्दी देवनागरी |
| संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
| प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
| संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
| उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
| कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| लेख सम्पादक | डॉ. नागेंद्रनाथ उपाध्याय |
अभयगिरि लंका की प्राचीन राजधानी (द्र.) का प्रसिद्ध विहार। वहाँ के राज वट्टगामिनी का एक नाम अभय था जिसने बुद्ध के अवशेषों पर निर्मित स्तूप के समीप इस विहार का निर्माण करवाया था। यह स्तूप ही गिरि के नाम से प्रसिद्ध था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ