आंद्रोनिकस द्वितीय

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:१७, ९ जून २०१८ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
आंद्रोनिकस द्वितीय
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 330
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. ओंमकारनाथ उपाध्याय

आंद्रोनिकस द्वितीय- (1260-1332 ई.) रोमन सम्राट् मिखायल पालियोलोगस उसका पिता था जिसके मरने के बाद वह स्वयं पूर्वी रोमन साम्राज्य का सम्राट् हुआ। उसके शासनकाल में वेनिस ओर जेनोआ की कीर्ति बढ़ी और तुर्की ने बिथीनिया साम्राज्य से छीन लिया। उनसे लड़ने के लिए सम्राट् ने रोगर दी फ्लोर नाम के एक स्पेनी सामरिक को नियत किया। रोगर ने तुर्की को हरा तो दिया पर वह स्वयं सम्राट् के साथ मनमानी करने लगा। अंत में जो उसके सैनिकों ने विद्रोह किया तो एथेंस और थीवीज़ साम्राज्य के हाथ से निकल गए। अंत में आंद्रोनिकस को साम्राज्य की गद्दी अपने पौत्र को दे देनी पड़ी।






टीका टिप्पणी और संदर्भ