ऐल्सैस लोरेन
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ऐल्सैस लोरेन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 287 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
ऐल्सैस लोरेन जर्मनी भाषा का एलज़ाम लो्थ्रंाजेन 5,600 वर्ग मील का क्षेत्र है जिसे सन् 1871 ई. में फ्रांस ने जर्मनी को अभ्यर्पित कर दिया था। सन् 1919 ई. में यह फिर फ्रांस को दे दिया गया, परंतु सन् 1940 ई. में जर्मनी ने वापस ले लिया। 1871 ई. के पश्चात् जर्मनी ने इसे तीन प्रशासनिक विभागों में विभाजित किया–'ऊपरी ऐल्सैस', 'निचला ऐल्सैस' तथा लोरेन। फ्रांसीसियों ने भी इसे तीन विभागों में बाँटा–हो-राइन (जनसंख्या सन् 1968 में 5,85,018), बा-राइन (जनसंख्या सन् 1968 में 8,27,367), तथा मोज़ेल (जनसंख्या सन् 1968 में 9,71,314)। प्राकृतिक रूप से भी ऐल्सैस की अपनी सीमाएँ हैं। पश्चिम में फ्रांस की सीमा, पूर्व में बाडेन तथा दक्षिण में यह स्विट्ज़रलैंड से घिरा है। इस क्षेत्र की जनसंख्या सन् 1936 ई. में 19,15,627 थी, जिनमें से केवल दस प्रतिशत ही फ्रांसीसी बोलनेवाले थे, अन्य सब जर्मन (जैसे स्विटज़रलैंड के बेसल अंचल में बोली जानेवाली जर्मन भाषा) बोलनेवाले थे। यद्यपि ऐल्सैस में पोटाश तथा मिट्टी के तेल का उत्पादन होता है, तथापि यह प्रदेश कृषि उत्पादन, वस्त्र, मशीनों इत्यादि के लिए अधिक प्रसिद्ध है। लोरेन का अत्यधिक महत्व यहाँ के लोहे तथा कोयले के कारण है, जो औद्योगिक तथा सामरिक दोनों दृष्टियों से यूरोप में शक्ति के पासंग हैं। इसके अतिरिक्त यह बड़े-बड़े व्यापारिक तथा आवागमन के अन्य मुख्य मार्गो–राइन, सैवर्न तथा बर्गेडी के द्वार–पर होने से फ्रांस तथा जर्मनी दोनों के लिए सोने की चिड़िया है। इसका 2,000 वर्षो का इतिहास बताता है कि यह यूरोपीय राजनीति में सदैव झगड़े की जड़ रहा है और सन् 1870 ई. से तो विश्व राजनीति में भी काफी प्रसिद्ध रहा है। इसकी पूर्वी सीमा पर उत्तर से पूर्व दिशा में 115 मील तक राइन नदी बहती है, स्ट्रैबर्ग के नीचे ईल (लंबाई 127 मील) इसमें योग देती है। संपूर्ण प्रदेश का प्राय: 50ऽ भाग कृषि योग्य है, 11.6 चरागाह के योग्य तथा 30.8ऽ जंगल है। इस प्रदेश के मुख्य नगर स्ट्रैसबर्ग (जनसंख्या सन् 1968 में 2,49,396), मेट्ज़ (जनसंख्या सन् 1968 में 1,07,437) तथा क्लोमार हैं। अब यह प्रदेश पश्चिमी शक्तियों के अधीन है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ