जौनपुर

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लेख सूचना
जौनपुर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 5
पृष्ठ संख्या 66
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेवसहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1965 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक अजित नारायण मेहरोत्रा

जौनपुर उत्तर प्रदेश का जिला और नगर है। जिले का क्षेत्रफल १,५४३ वर्ग मील तथा प्रति वर्ग मील पर जनसंख्या का घनत्व १,११९ है। यह जिला गंगा के मैदान में स्थित है और इसका धरातल जलोढ़ मिट्टी से निर्मित है। यह गंगा की सहायक नदी गोमती के टेढ़े मेढ़े जलमार्ग द्वारा दो असमान भागों में विभक्त हो गया है।

नगर

जौनपुर ज़िले का प्रशासनिक केंद्र है। वाराणसी नगर से ३४ मील दूर (रेल द्वारा) उत्तर-पश्चिम में गोमती नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है। नगर गुलाबजल, तेल एवं इत्रों के व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ एक महाविद्यालय तथा कई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं।

इतिहास

बहुत प्राचीन काल में जौनपुर अयोध्या राज्य के अंतर्गत था, किंतु इसका प्रामाणिक इतिहास इसके बनारस के अधीन होने के समय से मिलता है। ११९४ में इसपर मुसलमानों का अधिकार हुआ। १३६० में फीरोज तुगलक ने इस नगर की नींव डाली, १३८८ में महमूद तुगलक ने मलिक ख्वाजा को सुलतान-उल-शर्क की उपाधि के साथ पूर्वी प्रदेश की स्थिति पर नियंत्रण के लिये भेजा। १४७८ में बहलोल लोदी ने ख्वाजा के वंशजों से जौनपुर छीन लिया। १७७५ में जौनुपर नगर और जनपद पर अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी का पूर्ण अधिकार हो गया। तब से यह उत्तर प्रदेश का साधारण नगर और जनपद रह गया।

जौनपुर बहुत प्राचीन नगर है। अनेक स्थानों पर भिन्न भिन्न कामों के प्रतिनिधि रूप में कलापूर्ण स्मारक यहाँ दिखाई देते हैं। १४वीं शताब्दी में बनवाए हुए फिरोजशाह के दुर्ग का सिंहद्वार अब भी स्थित है। अटाला मस्जिद (१४०८), झँझरी मस्जिद, दरीबा मस्जिद, लालदरवाजा, जिसे महमूद की रानी ने बनवाया और जामा मस्जिद आदि मध्यकाल की वास्तुकला के नमूने हैं। गोमती नदी पर बना हुआ पुल (१५६९-७३) भी यहाँ के प्राचीन स्मारकों में हैं, जिसे जौनपुर के तत्कालीन मुगल गवर्नर मुनइम बेग खाँ ने बनवाया था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ