ज्यूस
ज्यूस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 5 |
पृष्ठ संख्या | 78 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1965 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
ज्यूस ग्रीक पुराणों में प्रधान देवता। वह क्रोनस और रिया का पुत्र था। कहा जाता है कि क्रोनस अपने बच्चों को जन्म के बाद तुरंत खा जाता था। जब ज्यूस उत्पन्न होनेवाला था, रिया ने यूरेनस और जिया से सम्मति ली कि उत्पन्न होनेवाला शिशु कैसे बचाया जाय। उन्होंने रिया को क्रीटी (कहीं कहीं ट्रोजन, इडा तथा अन्य स्थान भी दिए हुए हैं) भेज दिया। रिया ने ज्यूस को 'माउंट इडा' में छिपा दिया और एक पत्थर का टुकड़ा कपड़े में लपेट कर क्रोनस को खाने के लिये दे दिया। इडा और अडरास्टी नामक वनदेवियों ने शिशु ज्यूस की रक्षा की। अमाल्थी नाम की बकरी उसे दूध पिलाती थी और मधुमक्खियाँ उसके लिये शहद एकत्र करती थीं। जब ज्यूस बड़ा हुआ तब उसने रिया और मेटिस की सहायता से अपने पिता को बाध्य किया कि वह सारे खाए हुए बच्चों को बाहर निकाले। इस प्रकार उसने अपने पिता को सिंहासनच्युत करने के लिय अपने भाइयों का एक संगठन बनाया। फलत: युद्ध हुआ, ज्यूस ने यूरेन्स और रिया के पुत्रों को, क्रोनस ने बंदी कर लिया था, कारागार से निकाल दिया, इसपर उन्होंने प्रसन्न होकर उसे मेघों की गरज और विद्युत् की चमक प्रदान की। इसके अतिरिक्त उसने ब्रिअरोस, कोटस और गाइस को जिनके सौ सौ हाथ थे, मुक्त किया। उन्होंने भी इसे कई वरदान दिए। रिया के दूसरा पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम टाइफोअरस था, जिसने ज्यूस से भंयकर युद्ध किया। किंतु वे वज्र द्वारा परास्त हो गया। ज्यूस अब सारे संसार का स्वामी हो गया। उसमें से उसने अपने भाइयों नेपच्यून (पोसीइद) और प्लूटो (हाडीस) को भी कुछ भाग बाँट दिए। जूस ने अपने लिये स्वर्ग और संसार का ऊपरी भाग राज्य करने के लिये लिया, धरती पर सबका सामूहिक स्वत्व था। दूसरा भंयकर युद्ध देवताओं को उन दैत्यों से करना पड़ा जो यूरेनस के रक्त से उत्पन्न हुए थे, किंतु इस युद्ध में देवताओं को एंथीन, अपोलों, हेराक्लीज तथा ज्यूस के अन्य बेटों ने सहायता दी और दैत्य पूर्णतया पराजित हुए। ज्यूस की तीन बहनें और तीन भाई थे। उसने पहले 'मेटिस' से विवाह किया, किंतु इस बात की भविष्यवाणी पहले ही हो चुकी थी कि मेटिस का पुत्र विश्वसम्राट् होगा इसलिये ज्यूस ने गर्भवती मेटिस को खा लिया, एथीन उसके सिर से उत्पन्न हुआ। इसके बाद उसने यूरेनस और रिया की पुत्री थीमिस से कुछ समय के लिये विवाह किया किंतु उसने अंत में अपनी बहन हेरा से संबंध स्थापित किया जिससे हीबी, आरिस और हैफास्टस नामक संताने उत्पन्न हुईं। ज्यूस देवताओं में सबसे महान् विधिविज्ञान और अनुशासन का स्थापक, अपराधों का दंडनिर्णायक, शुभकार्यों के लिय शुभ-फल-दाता, दैवी शक्तियों का स्रोत, सभी सुंदर वस्तुओं का निर्माता, सर्वशक्तिमान, बुद्धिसंपन्न और विश्व का उदार शासक माना जाता हैं।
कालांतर में ज्यूस एक स्थानीय देवता माना जाने लगा और इसी नाम से अनेक देवताओं की कहानियाँ प्रचलित हो गईं। आर्केडियन और क्रीटन ज्यूस विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। किंवदंतियों के अनुसार ज्यूस गारटिन के द्वीप में भी रहा जहाँ हेकाटोंबियस उपनाम से उसकी पूजा होती थी। इस राष्ट्रीय देवता की पूजा, साँड़ों, गायों और बकरियों के बलिदानों द्वारा की जाती थी। ग्रीक में एथेंस और ओलंपिया, ये दोनों उसकी पूजा के विशिष्ट स्थान माने जाते हैं। उसी के सम्मान में ओलंपिया में यूनानी लोगों द्वारा खेलों का आयोजन होता था। यहीं पर एक बहुत सुंदर मंदिर था, जिसमें ज्यूस देवता की स्वर्ण और हाथीदाँत की मूर्ति है, जिसे 'फिदियस' ने बनाया था और जो संसार के सात आश्चर्यों में एक है।