कबाल
कबाल
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 404 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | शुभदा तेलंग |
- कबाल किसी समिति के आपसी संबंधों में गुप्त षड्यंत्र के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।
- इंग्लैंड का चार्ल्स द्वितीय, पाँच अंतरंग मंत्रियों के परामर्श से कूटनीति के गुप्त मामले तथा महत्वपूर्ण विदेशी मामलों को तय किया करता था।
- ये पाँच मंत्री थे-क्लिफ़र्ड, आर्लिग्टन, बकिंघम, आशले और लाडरडेले।
- इन्हीं पाँचों के नामों के पहले अक्षरों को मिलाकर कबाल शब्द निर्मित हुआ है, साधारणत: ऐसा माना जाता है; किंतु है यह संयोग मात्र, क्योंकि इस शब्द की व्युत्पत्ति फ्रेंच शब्द कबाल से हुई है।
- कबाल कैबिनेट का अग्रगामी माना जाता है।
- कबाल की शक्ति देखकर राज्य के अन्य व्यक्ति इससे ईर्ष्या करने लगे तथा कबाल शब्द का प्रयोग कुत्सित भाव से होने लगा।
टीका टिप्पणी और संदर्भ