दिक्पाल
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- दिक्पाल पुराणों के अनुसार दश दिशाओं का पालन करनेवाले देवगण।
- इनकी संख्या १० मानी गई है।
- वाराह पुराण के अनुसार इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है।
- जिस समय ब्रह्मा सृष्टि करने के विचार में चिंतनरत थे उस समय उनके कान से दस कन्याएँ - (१) पूर्वा, (२) आग्नेयी, (३) दक्षिणा, (४) नैऋती, (५) पश्चिमा (६) वायवी, (७) उत्तरा, (८) ऐशानी, (९) ऊद्ध्व और (१०) अधस् उत्पन्न हुईं जिनमें मुख्य ६ और ४ गौण थीं।
- उन लोगों ने ब्रह्मा का नमन कर उनसे रहने का स्थान और उपयुक्त पतियों की याचना की।
- ब्रह्मा ने कहा तुम लोगों का जिस ओर जाने की इच्छा हो जा सकती हो। शीघ्र ही तुम लोगों को अनुरूप पति भी दूँगा।
- इसके अनुसार उन कन्याओं ने एक एक दिशा की ओर प्रस्थान किया।
- इसके पश्चात् ब्रह्मा ने आठ दिग्पालों की सृष्टि की और अपनी कन्याओं को बुलाकर प्रत्येक लोकपाल को एक एक कन्या प्रदान कर दी।
- इसके बाद वे सभी लोकपाल उन कन्याओं में दिशाओं के साथ अपनी दिशाओं में चले गए।
- इन दिग्पालों के नाम पुराणों में दिशाओं के क्रम से निम्नांकित है (१) पूर्व के इंद्र, (२) दक्षिणपूर्व के अग्नि, (३) दक्षिण के यम, (४) दक्षिण पश्चिम के सूर्य, (५) पश्चिम के वरुण, (६) पश्चिमोत्तर के वायु, (७) उत्तर के कुबेर और (८) उत्तरपूर्व के सोम।
- शेष दो दिशाओं अर्थात् ऊर्ध्व या आकाश की ओर वे स्वयम् चले गए और नीचे की ओर उन्होंने शेष या अनंत को प्रतिष्ठित किया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ