अंटार्कटिक महासागर

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:३८, २५ अक्टूबर २०११ का अवतरण (''''अंटार्कटिक महासागर''' अंटार्कटिक महाद्वीप के चारों...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

अंटार्कटिक महासागर अंटार्कटिक महाद्वीप के चारों ओर फैला है। कतिपय भूगोलवेत्ताओं के अनुसार यह स्वतंत्र महासागर न होकर अंध (अटलांटिक) महासागर, प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर का दक्षिणी विस्तार मात्र है।

  • अंटार्कटिक महासागर की गहराई हार्न अंतरीप के पास 600 मील है, तो अफ्रीका के दक्षिण स्थित अमुलहस अंतरीप के समीप 2,400 मील।
  • अंटार्कटिक महासागर में अनेक प्लावी हिमशैल तैरते रहते हैं।
  • इसके कुछ हिमशैल तैरते-तैरते समीपस्थ अन्य महासागरों में भी चले जाते हैं।
  • समुद्री खोजकर्ताओं ने इस सागर में एकाधिक ऐसे प्लावी हिमशैल भी देखे हैं, जिनका क्षेत्रफल एक सौ वर्गमील से अधिक था।
  • इनमें से कुछ हिमशैलों की मोटाई एक हजार फीट से भी अधिक थी।
  • अंटार्कटिक महासागर के जल का, सतह पर, औसत तापमान 29.8° फारनहाइट रहता है और तल पर यह तापमान 32° से 35° फारनहाइट तक होता है।
  • दक्षिण अमरीका तक पहुँचते-पहुँचते इस सागर की मुख्य धारा दो भागों में विभक्त हो जाती है।
  • एक धारा अमरीका महाद्वीप के पूर्वी तट के साथ-साथ उत्तर की ओर चली जाती है तो दूसरी पूरब की ओर हार्न अंतरीप से आगे बढ़ जाती है।
  • इस क्षेत्र में छोटे-छोटे पौधे, पक्षी तथा अन्य जीव-जंतु पाए जाते हैं।
  • ह्वेल मछली के शिकार के लिए भी यह महासागर महत्वपूर्ण माना जाता है और यहाँ से ह्वेल का काफी व्यापार होता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ