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आर्च चांसलर
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 430 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | मुह्म्मद अज़हर असगर अंसीर |
आर्च चांसलर पवित्र रोमन साम्राज्य में सबसे बड़े पद का अधिकारी। मध्यकालीन यूरोप में यह उपाधि उसको मिलती थी जो बड़े बड़े अफसरों के काम की देखभाल किया करता था, प्रथम लूथर के एक फर्मान में, जो 844 ई. में निकला था, आलिगमार को उस पद से विभूषित किया गया था। इसके अतिरिक्त कई और स्थानों पर भी इसका नाम आता है। 11वीं शताब्दी में इटली के आर्च चांसलर का पद कोलोन के आर्च बिशप (बड़े पादरी) के हाथों में था। 1365 ई. में चौथे चार्ल्स के राज्यकाल में आर्च चांसलर के पद के तीन भाग हुए जो गोल्डेन बिलवाने कागजों में मिलते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ