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लेख सूचना
ऋतुपर्ण
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 194
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कैलासचंद्र शर्मा

ऋतुपर्ण अयोध्या का एक पुराकालीन राजा। इसके पिता का नाम सर्वकाम था। यह अक्षविद्या में अत्यंत निपुण था। जुए में राज्य हार जाने के उपंरात अपने अज्ञातवासकाल में नल बाहुक नाम से इसी के पास सारथि के रूप में रहा था। इसने नल को अपनी अक्षविद्या दी तथा नल ने भी अपनी अश्वविद्या इसे दी। नलवियुक्ती दमयंती को जब अपने चर पर्णाद द्वारा पता चला कि नल ऋतुपर्ण के सारथि के रूप में रह रहा है तो उसने ऋतुपर्ण का संदेशा भेजा, नल का कुछ भी पता न लगने के कारण मैं अपना दूसरा स्वयंवर कल सूर्योदय के समय कर रही हूँ, अत: आप समय रहते कुंडनिपुर पधारें। नल ने अपनी अश्वविद्या के बल से ऋतुपर्ण को ठीक समय पर कुंडनिपुर पहुँचा दिया तथा वहाँ नल और दमयंती का मिलन हुआ।

बौधायन श्रौत्रसूत्र [१] के अनुसार ऋतुपर्ण भंगाश्विन का पुत्र तथा शफाल का राजा था। वायु, ब्रह्म तथा हरिवंश इत्यादि पुराणों में ऋतुपर्ण को अयुतायुपुत्र बताया गया है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (2012)