एंटरो टाक्र्वीनियो द क्वेंटल

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लेख सूचना
एंटरो टाक्र्वीनियो द क्वेंटल
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 255
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

एंटेरो टार्क्वीनियो द क्वेंटल (1842-1891 ई.) पुर्तगाली कवि। 18 अप्रैल, 1842 को अजोरेस प्रदेश के पाँटा डेलगाडा नामक स्थान में जन्म। 1864 ई. में कोयंब्रा विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। तदनंतर लिस्बन के राजनीतिक एवं बौद्धिक क्षेत्र में प्रवेश किया। अपनी कविताओं के प्रकाशन के साथ वह विद्रोही युवकों के साथ हो गया और पूर्ववर्ती पीढ़ी के प्रमुख जीवित कवि का कास्टिल्हो को उनके तत्कालीन पुर्तगाली साहित्य के अधिनायकत्व से अपदस्थ कर दिया। समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर संपन्न होते हुए भी कंपोजीटर का काम करने लगा और समाजवाद का प्रचारक बना। जीवन में असफल होने के कारण वह कुछ वेदनावादी बन गया और उसकी वेदना उसकी रचनाओं में प्रस्फुटित हुई है। रीढ़ के रोग के कारण वह इतना दुखी हुआ कि उसने अंततोगत्वा आत्महत्या कर ली।

क्वेंटल ने अधिकांशत: सॉनेट ही लिखे हैं। सॉनेट लिखनेवाले कवियों में कम ही ऐसे होंगे जिन्होंने इसकी तरह सुंदर रचनाएँ प्रस्तुत की होंगी । उसकी अधिकांश रचनाएँ वस्तुत: काव्यकला के अनुपम नमूने हैं। अपनी रचनाओं में या तो वह अपने संशय और अंतर्द्वद्व को भूल बैठा है या फिर उन्हें उसने सजीवता के साथ प्रस्तुत किया है। उसने अपनी अनुभूतियोंभावों और विचारों को प्रस्तुत करने के लिए लोकजीवन से प्रतीक चुने हैं। उसकी रचनाओं का चार खंडों में संग्रह उसके मित्र ओलवेरा मार्टिन ने किया है। उसके सॉनेट के अनुवाद अनेक यूरोपीय भाषाओं में हुए हैं और वे उसकी लोकप्रियता के प्रतीक है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ