एडवर्ड जेनर

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०९:३७, ९ अगस्त २०११ का अवतरण (Adding category Category:हिन्दी विश्वकोश (को हटा दिया गया हैं।))
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

एडवर्ड जेनर (सन्‌ १७४९-१८२३) अंग्रेज कायचिकित्सक तथा चेचक के टीके के आविष्कारक थे। इनका जन्म १७ मई, सन्‌ १७४९ को बर्कले में हुआ। उट्टन में प्रारंभिक शिक्षा समाप्त करने के उपरांत ये सन्‌ १७७० में लंदन गए और सन्‌ १७९२ में ऐंड्रय्‌ज कालेज से एमo डीदृ की उपाधि प्राप्त की।

अपने अध्ययन काल में ही इन्होंने कैप्टेन कुक की समुद्री यात्रा से प्राप्त प्राणिशास्त्रीय नमूनों को व्यवस्थित किया। सन्‌ १७७५ में इन्होंने सिद्ध किया कि गोमसूरी (cowpox) में दो विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ सम्मिलित है, जिनमें से केवल एक चेचक से रक्षा करती है। इन्होंने यह भी निश्चित किया कि गोमसूरी, चेचक और घोड़े के पैर की ग्रीज़ (grease) नामक बीमारियाँ अनुषंगी हैं। सन्‌ १७९८ में इन्होंने 'चेचक के टीके के कारणों और प्रभावों' पर एक निबंध प्रकाशित किया।

सन्‌ १८०३ में चेचक के टीके के प्रसार के लिये रॉयल जेनेरियन संस्था स्थापित हुई। इनके कार्यों के उलक्ष्य में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने इन्हें एम. डी. की सम्मानित उपाधि से विभूषित किया। सन्‌ १८२२ में 'कुछ रोगों में कृत्रिम विस्फोटन का प्रभाव' पर निबंध प्रकाशित किया और दूसरे वर्ष रॉयल सोसाइटी में 'पक्षी प्र्व्राजन' पर निबंध लिखा। २६ जनवरी, १८२३ को बर्कले में इनका देहावसान हो गया।

टीका टिप्पणी और संदर्भ